साड़ी को बनाने में लगभग तीन महीने का समय लगता है। साड़ी की कीमत पांच हजार रुपये तक की
रायपुर : पंडरी स्थित छत्तीसगढ़ हाट में आयोजित स्वदेशी खादी महोत्सव में विभिन्न राज्यों से पहुंचे हस्तशिल्पियों ने अपने उत्पादों के स्टाल लगाए हुए हैं। गर्मी को देखते हुए यहां कपड़ों के स्पेशल समर कलेक्शन भी हैं, जिसे शहरवासी काफी पसंद कर रहे हैं। खंडवा मध्यप्रदेश के हस्तशिल्पी तेजबहादुर सिंह हैंडमेड साड़ियों के कलेक्शन लेकर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास कोसा सिल्क से बनी एक साड़ी है, जिस पर हाथों से मधुबनी आर्ट उकेरी गई है। इस साड़ी को बनाने में लगभग तीन महीने का समय लगता है। साड़ी की कीमत पांच हजार रुपये तक की है। जिसपर विशेष छूट दी जा रही है।
चमक सालों तक खराब नहीं होती
कोसा सिल्क की चमक सालों तक खराब नहीं होती, इसे मेंटेनेंस की भी बहुत जरूरत नहीं पड़ती। गर्मियों में भी यह ठंडकता का एहसास देता है। प्रदर्शनी में मेरठ के खादी कुर्ते, सूती साड़िया, सूती सूट, तौलिया, कुर्ते पजामे, क्रोकरी, कारपेट, पीतल की मूर्तियां शहरवासियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों पर छूट लोगों को पसंद आ रही है। स्वदेशी खादी महोत्सव चार जून तक चलेगा।
कई डिजाइन में उपलब्ध है साड़ियां
कोसा सिल्क छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा से प्राप्त की जाती है। इसके साथ ही उनके पास बस्तर आर्ट, कलमकारी, मार्ब प्रिंट, इंडिको और मिथिला आर्ट डिजाइन वाली साड़ियां भी हैं, जो वे खुद तैयार करते हैं। खंडवा के गायत्री कालोनी में लगभग 150 बुनकर परिवार हैं, जिसमें सभी महिलाएं साड़ी में धागे से डिजाइन बनातीं हैं। मधुबन के राजा की जब शादी हुई थी तब उस समय कारीगरों ने साड़ियों में राजा की दुल्हन और डोली का चित्र बनाया था, यही मधुबनी आर्ट कहलाया। मिथिला आर्ट का संबंध द्वापर युग से है। इसमें मछली, जल या प्राकृतिक वरदान का डिजाइन होता है।