स्वास्थ्य विभाग में मिली नौकरी से पहाड़ी कोरवाओं के जीवन में आया उल्लास
कोरबा। छत्तीसगढ़ में कोरबा जिला जोकि खनिज के लिए जाना जाता है, लेकिन जिले के अजगर बहार ग्राम पंचायत के अंतर्गत ग्राम टोकाभांठा के रहवासियों को बहुत कम ही लोग कुछ वर्ष पहले जानते थे। मुख्य सड़क से दूर टोकाभांठा में सुबह का सूरज रोज तो निगलता था, लेकिन विकास की मुख्य धारा यहां के लोगों की जिंदगी में सिर्फ गरीबी ही लिख दी थी। कहते है ना अंधेरे के बाद उजाला होगा और वहीं हुआ गांव में बकरी चराने वाली पहाड़ी कोरवा समारिन बाई के जीवन में । समारिन बाई ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें अस्पताल में आया की नौकरी मिल जायेगी। बकरी चरा रही समारिन को मिली आया की नौकरी, तो बोली कडुवाहट भरी जिंदगी में मिठास आई ।
समारिन बाई की शिक्षा भी बहुत काम आई
ग्राम टोकाभांठा में रहने वाली समारिन बाई अब पहले से काफी बदल गई है। उनकी जिंदगी और रहन-सहन में बदलाव की शुरुआत हाल ही के दिनों से हुई है। जिला प्रशासन की पहल पर जब विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा था। तब समारिन बाई की शिक्षा भी बहुत काम आई। कक्षा दसवीं तक पढ़ी समारिन बाई को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू में वार्ड आया की नौकरी मिल गई। फिर क्या था, जंगल में बकरी चराने वाली और गरीबी की वजह से आर्थिक तंगी से जूझने वाली समारिन बाई अस्पताल में अलग रूप में नज़र आ रही है।
समारिन ने मुख्यमंत्री को कहा धन्यवाद
ट्रे में दवाइयां लेकर मरीजों के वार्ड तक और डाक्टर, नर्स के साथ उनके आस-पास समारिन का दिन गुजर रहा है। उन्होंने बताया कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह सरकारी अस्पताल में अपनी ड्यूटी करेगी। उन्हें तो लगता था कि हम पहाड़ी कोरवाओं की जिंदगी गरीबी के बीच जंगल में उनके पुरखों की तरह ही कठिनाइयों के बीच बीतेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा पहाड़ी कोरवाओं को दी जा रही नौकरी की सराहना करते हुए इसके लिए वह प्रदेश सरकार के साथ ही मुख्यमुंत्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद कहती है। जिनके बदौलत उसकी जिंदगी में बदलाव आया।
बहुत कुछ सीखने का अवसर मिल रहा
पहाड़ी कोरवा समारिन बाई का कहना है कि उनका समाज ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है। जंगल में गरीबी के बीच बहुत ही विषम परिस्थितियों में जीवन-यापन करना पड़ता है। ऐसे में शिक्षा से जुड़ पाना संभव नहीं हो पाता। खासकर लड़कियों को घर के काम करने पड़ते हैं, उनका स्कूल जाना और पढ़ाई पूरी कर पाना बहुत चुनौती है। मैंने किसी तरह पढ़ाई तो कर ली थी लेकिन नौकरी मिलेगी यह कभी सोचा ही नहीं था। समारिन बाई ने बताया कि उन्हें अस्पताल में नौकरी मिली है। इस जगह में रहकर वह जान पा रही है कि अन्य समाज के साथ कैसे रहना है। किस तरह पढ़ाई कर महिलाएं काम कर रही है। यहां बहुत कुछ सीखने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने बताया कि अभी मानदेय में जो राशि मिल रही है उससे घर का खर्च चला रही है। भविष्य में कुछ पैसे बचत करने की कोशिश भी करेगी ताकि अपने बच्चों का भविष्य बना पाए।
19 युवाओं को अस्पतालों में विभिन्न पदों पर रखा गया
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू में ही पहाड़ी कोरवा समार साय, बुधवार सिंह की भी स्वच्छक तथा वार्ड बॉय के रूप में नौकरी लगी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिशा निर्देशन में कलेक्टर अजीत वसंत ने स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में जिले के पहाड़ी कोरवाओं तथा बिरहोरों को योग्यता के आधार पर मानदेय में नौकरी पर रखने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में पीवीटीजी के 19 युवाओं को अस्पतालों में विभिन्न पदों पर रखा गया है।