मिट्टी कैफे में दिव्यांगों की 27 जोड़िया बनी। 50 कैफे में 600 से अधिक दिव्यांग काम कर रहे हैं
रायपुर । कहते हैं ना किसी बड़े उद्योग की स्थापना की शुरुआत बहुत कम संसाधन के साथ शुरू होती है, लेकिन नेक इरादे हो तो उद्योग को सफलता मिलने में समय नहीं लगता है। कुछ इसी तरह जीवन के संघर्ष की कहानी जुड़ी है ‘मिट्टी कैफ़े’ की संस्थापक अलीना आलम की।
बेंगलुरु की रहने वाली अलीना ने vyavasaykhabar.com (व्यवसायखबरडाट काम) से एक खास चर्चा में बतायी कि कुछ बड़ा करने के लिए जिद्दी होना चाहिए। सफलता में सहयोग जरूरी है।
उपली, उत्तर कर्नाटका में लोगों के सहयोग से पहला कैफे शुरू किया
‘मिट्टी कैफ़े’ की नींव के बारे में उन्होंने कहा कि कैफ़े की एक शृंखला है, जो शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकलांगता वाले वयस्कों को अनुभवात्मक प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान करती है। जिसकी शुरुआत टीन शेड के छोटे जगह से हुई, जो चूहों से भरा हुआ था। कालेज पढ़ने वाले युवाओं की टीम ने जगह को चमका दिया। कैफे में उपयोग होने वाला 90 प्रतिशत सामाग्री लोगों ने दान में दिया था। पहला कैफे खोलपले के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। उपली, उत्तर कर्नाटका में लोगों के सहयोग से पहला कैफे शुरू किया।
आपके मन में मिट्टी कैफे की शुरुआत को लेकर कैसे बात आयी?
देखिए, शुरू से मेरे मन में कुछ अलग करने की सोच थी। इसी तरह से मैंने मिट्टी कैफे की शुरुआत कालेज में रहते हुए की। तब मैं सिर्फ 22 वर्ष की थी। मैंने इसकी शुरुआत इस तरह से करने की सोची, जिससे दुनिया लोगों की काबिलयत पर गौर करें। समाज में उन्हे नई पहचान मिले, जिनको ज्यादातर लोग पूछते भी नहीं। इसलिए मिट्टी कैफे में सिर्फ दिव्यांग ही काम करते हैं।
50 कैफे में 600 से अधिक दिव्यांग काम कर रहे हैं
मिट्टी कैफे में दिव्यांगों की 27 जोड़िया बनी। 50 कैफे में 600 से अधिक दिव्यांग काम कर रहे हैं। मुझे याद है, जब कैफे खुलने के बाद इंटरव्यू के लिए दिव्यांग लड़की हाथ के बल चलती हुई पहुंची, क्योंकि वह व्हील चेयर नहीं खरीद सकती थी। वह आज मैनेजर के रूप में दस अन्य को संभाल रही है। एक लक्ष्मी नाम की महिला जो बोल और सुन नहीं सकती। वह अपने दो बच्चों के साथ पति से अलग रहती है। उसका सपना है कि उसका बच्चा पढ़े और मुझे वर्ल्ड टूर पर ले जाए। 80 जाब से रिजेक्ट होने के बाद बैरप्पा हमारे पास आया और आज वह टीम लीडर है। वहीं छह हजार से ज्यादा दिव्यांगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं।
हर देश में खुले मिट्टी कैफ, दिव्यांगों को मिले पहचान
मिट्टी कैफे राष्ट्रपति भवन, सर्वोच्च न्यायालय परिसर, विभिन्न एयरपोर्ट, अस्पताल, कालेज सहित अन्य जगहों में 50 कैफे हैं। मिट्टी कैफे शुरू करने का दो उद्देश्य है पहला स्थायी आजीविका उत्पन्न कर सकें और दूसरा जागरूकता लाना है कि कैसे कम्युनिटी से जुड़कर काम कर सकते हैं। हमारा लक्ष्य है कि देश के हर शहर के एक कोने में मिट्टी कैफे हो और लोग दिव्यांगों की शक्तियों को पहचान सकें।