-बरेली के आइवीआरआइ में नस्ल सुधार के लिए तैयार किए गए ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’
उत्तरप्रदेश (बरेली)। देशभर में अब कम दूध देने वाली गाय-भैंसों को बेसहारा नहीं होना पड़ेगा, इसके साथ ही उनकी रखवाली भी पशुपालक करने लगेंगे। अब इन्हे दूध कम देने के बाद बेसहारा नहीं छोड़ दिया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ पशुपालक की इस बड़ी परेशानी को या कहे बेहतर विकल्प भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के पशु वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ तैयार कमाल कर दिया है। जोकि सरोगेट मदर बनकर अधिक दूध देने वाली प्रजातियां तैयार करेंगी। इसके लिए इन्हें देसी गाय-भैंस के गर्भाशय में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित भी किया जा चुका है।
नए वर्ष से सरोगेट मदर से बच्चे मिलने होंगे शुरू
नए वर्ष से सरोगेट मदर से बच्चे मिलने शुरू हो जाएंगे। डा. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत संस्थान को साढ़े छह करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मिलने वाले हैं। इसके बाद सरोगेट मदर के प्रोजेक्ट को और विस्तार दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे गांवों तक पहुंचाया जाएगा। इससे कम दूध देने वाली गाय-भैंस की उपयोगिता बनी रहेगी और नस्ल सुधार कर अधिक दुग्ध उत्पादन भी हो सकेगा।
प्रत्यारोपण किया जा चुका है
विज्ञानी डा. एमएच खान, डा. ब्रजेश कुमार, विक्रांत सिंह चौहान, एके पांडेय ने इस परियोजना पर कार्य शुरू किया है। उन्होंने बताया कि साहीवाल गाय हो या मुर्रा भैंस, ऐसी प्रजातियां प्रतिदिन 15 से 25 लीटर तक दूध देती हैं। इनके विस्तार एवं अधिक दुग्ध उत्पादन के लिए टेस्ट ट्यूब बेबी फार्मूले पर कार्य किया गया। इन प्रजातियों की गाय-भैंस और अच्छी प्रजाति के बछड़े का सीमन लेकर फर्टिलाइजेशन के लिए सीओ-2 इंक्यूवेटर मशीन में 24 घंटे तक रखा गया। यह मशीन 38.05 तापमान पर कार्य करती है। फर्टिलाइजेशन होने के बाद इसे आठ दिन टेस्ट ट्यूब में रखा गया। इसके बाद भ्रूण को पालने-विकसित करने के लिए कम दूध देने वाली गाय-भैंस के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया गया। पहले चरण में पांच गाय-भैंस में इस तरह प्रत्यारोपण किया जा चुका है।
वर्ष में 18-20 बच्चे किया जा सकते हैं पैदा
संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि जीवित पशुओं में आइवीआरआइ में पहली बार यह प्रयोग हो रहा है। सामान्य तौर पर किसी भी प्रजाति की गाय नौ माह, नौ दिन और भैंस 10 माह, 10 दिन में बच्चा देती है। यानी, स्वाभाविक गर्भधारण से साहीवाल गाय या मुर्रा भैंस वर्ष में एक बार ही बच्चा देती है, जबकि इस अवधि में उससे 18-20 बार सीमन लिया जा सकता है। हालांकि, टेस्ट ट्यूब प्रक्रिया अपनाए जाने पर इन उच्च प्रजाति की गाय-भैंस का गर्भाशय खाली रखना होगा। ऐसे में उनसे वर्षभर में जो 18-20 बार सीमन लिया जाएगा, वह कम दूध वाली गाय-भैसों के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर इतने बच्चे पैदा किए जा सकते हैं।