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आदरांजलि : अग्रवाल समाज के महान पथप्रदर्शक श्री रामजीलाल अग्रवाल को श्रद्धांजलि

96 वर्षों की सामाजिक तपस्या पूर्ण: समाजसेवी स्वर्गीय रामजीलाल सेवा, समर्पण और संस्कार की सदैव रहे मिसाल

छत्तीसगढ़। रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पिता का 96 साल की उम्र में निधन हो गया। बृजमोहन अग्रवाल के निजी आवास स्थित मौलश्री विहार से अंतिम यात्रा निकाली गई। बृजमोहन के पिता श्री रामजीलाल अग्रवाल के पार्थिव शरीर को रामसागरपारा भी उनके पैतृक निवास ले जाया गया। यहां से सभी मारवाड़ी शमशान घाट पहुंचे। अंतिम दर्शन करने पहुंचने वालों में मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और भूपेश बघेल भी एक साथ बैठे दिखाई दिए।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा बापू जी नहीं रहे
पिता के निधन से दुखी सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा बापू जी नहीं रहे…वो हमेशा समाज सेवा के काम के लिए याद किए जाते रहेंगे वो गौ सेवा से भी जुड़े हुए थे, अग्रवाल समाज के राष्ट्रीय संरक्षक भी थे। उनका स्नेही साया सदैव हमारे जीवन में भगवन स्वरूप मार्गदर्शक के रूप में बना रहा। यह अपूरणीय क्षति हमारे जीवन में एक गहरी रिक्तता छोड़ गई है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल

टीबा बसाई झुंझनू, राजस्थान में हुआ था जन्म
छत्तीसगढ़ की राजधानी में अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर वर्तमान काल तक जिन-जिन व्यक्तित्वों को सामाजिक सफलता का प्रतीक माना गया उनमें आदर्श उदाहरण रहे – श्री रामजीलाल अग्रवाल। टीबा बसाई झुंझनू, राजस्थान में सन 1929 में जन्मे श्री रामजीलाल जीवन पर्यंत पीड़ित मानवता के कल्याण की अपनी राह नहीं छोड़ी। इसी सोच और विचारधारा राजस्थान से आकर छत्तीसगढ़ के रायपुर में रच बस गए और इस माटी के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। 96वें में वर्ष उन्होंने अपनी सांसारिक यात्रा पूर्ण कर 24 मई 2025 शनिवार को मोक्ष की यात्रा अंगीकार कर ली।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय स्वर्गीय रामजीलाल अग्रवाल के शांति मिलन कार्यक्रम में हुए शामिल

स्वर्गीय श्री रामजीलाल अग्रवाल को श्रद्धांजलि अर्पित की, परिवारजनों से मिलकर शोक-संवेदना प्रकट की

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शाम सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पिताजी स्वर्गीय रामजीलाल अग्रवाल के शांति मिलन कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री साय ने स्वर्गीय श्री रामजीलाल अग्रवाल के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल और उनके परिवारजनों से मिलकर शोक संवेदना प्रकट की।
‘हमर सियान की प्रति मुख्यमंत्री को भेंट की
मुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल भी कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने भी स्वर्गीय श्री रामजीलाल अग्रवाल को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन रायपुर के बेबीलोन इंटरनेशनल होटल में किया गया। सांसद अग्रवाल ने अपने पिता जी स्वर्गीय श्री रामजीलाल अग्रवाल के व्यक्तित्व और कृतित्व तथा प्रेरणादायक जीवन पर प्रकाशित पुस्तक ‘हमर सियान की प्रति मुख्यमंत्री श्री साय को भेंट की।

अन्य समाजों के लिए भी रहे प्रेरक
गौ साधक रामजीलालजी ने जितना जीवन जीया, वह केवल अग्रवाल सभा के लिए ही नहीं, अन्य समाजों के लिए भी प्रेरक बना रहा। एक व्यक्ति अपने जीवन में परिवार सहित समाज के कल्याण की खातिर किस हद तक सोच सकता है वे इसका अतुलनीय उदाहरण थे। सही मायनों में अनथक कर्म योगी थे।

आदर्श परिवार के भी थे मुखिया
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान उन्हें वरिष्ठ समाजसेवी, गौसेवक के रूप में पहचानता था। अग्रवाल समाज के राष्ट्रीय संरक्षक तो वे थे ही। इन सबके पहले एक विशाल कुटुम्ब को संभालने वाले आदर्श परिवार के मुखिया भी थे। श्रीमती सावित्री देवी अग्रवाल, गोपालकृष्ण अग्रवाल, राजधानी के सांसद व पूर्व कैबिनेट मंत्री मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ बृजमोहन अग्रवाल विजय अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, यशवंत अग्रवाल के वे पिता और श्री विष्णु अग्रवाल के बड़े भाई, पूरनलाल अग्रवाल, राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, अशोक अग्रवाल के चाचा, एवं देवेंद्र अग्रवाल, गणेश अग्रवाल के ताऊजी थे।

आगंतुकों के लिए सदैव मुस्कुराते रहते
प्रत्येक आगंतुकों के लिए सदैव मुस्कुराते हुए उपलब्ध रहना वैसा गुण आज
के समय में दिखाई नहीं देता। अपनी सक्रियता के दिनों में वे हरेक के लिए उपलब्ध रहा करते थे। इधर दो वर्षों से, जब से वे उम्र की चुनौतियों से जूझ रहे थे । उसके पहले उन्हें खाली बैठे हुए कभी देखा नहीं जाता था। यदि कुछ न कर रहे हों, तब भी व्यस्त रहना उनकी जीवन शैली थी।

श्री रामजीलाल अग्रवाल

युवावस्था से ही समाज सुधार के लिए ठोस कदम उठाए
रायपुर के अग्रवाल समाज को एकजुट और सक्रिय बनाने में रामजीलाल अग्रवाल का योगदान अतुलनीय रहा है। 1961 से सामाजिक गतिविधियों में रुचि लेने वाले अग्रवाल जी ने युवावस्था से ही समाज सुधार के लिए ठोस कदम उठाए। सामूहिक विवाह, मितव्ययिता जैसी अवधारणाओं को समाज में स्वीकार्य बनाना उस दौर में चुनौतीपूर्ण था, जिसे उन्होंने अपने प्रयासों से संभव किया। उनका नेतृत्व विभिन्न मंचों पर स्थापित हुआ – वे मध्यप्रदेश अग्रवाल सभा के उपाध्यक्ष (1991-2003) और चार बार रायपुर अग्रवाल सभा के अध्यक्ष रहे, जिनमें तीन बार उन्हें सर्वसम्मति से चुना गया।

काम ही असली पहचान है, पद नहीं
गौ सेवा में भी उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही। 1967 से महावीर गौशाला से जुड़े और 1988 से अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। गौशाला में शेड, पानी, हरे चारे की समुचित व्यवस्था और जनभागीदारी को बढ़ावा देने जैसे कई कार्य उनके कार्यकाल में हुए। इसके अलावा वे छत्तीसगढ़ प्रदेश अग्रवाल महासभा में अध्यक्ष, रायपुर अग्रवाल सभा में संरक्षक और विभिन्न सलाहकार पदों पर भी सक्रिय रहे। पदों को लेकर उनका नजरिया हमेशा सेवा-भावना से प्रेरित रहा – वे मानते थे कि काम ही असली पहचान है, पद नहीं।

उपराष्ट्रपति भैरोसिंह से लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने किया सम्मानित
अपने अनुशासित जीवन में उन्होंने अनेक संस्थाओं से जुड़कर सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाया। उन्हें तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, गुजरात के राज्यपाल सहित छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गौ-सेवक के रूप में सम्मानित किया गया। जीवन में मतभेदों को मनभेद नहीं बनने देना, विरोधियों से भी स्नेह रखना उनके मूल मंत्र थे। वे अपने पीछे एक सफल, समर्पित और संस्कारी परिवार छोड़ गए हैं, जो उनके दिखाए मार्ग पर आज भी चल रहा है।

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