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पद्मश्री डॉ. बुधेन्द्र भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) रायपुर के बने अध्यक्ष

-आइए जानते है आखिर कौन है डॉ. बुधेन्द्र, जिन्हे लोग कहते है आंखों का मसीहा

-पांच दशकों के नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में 17 लाख आंखों को दे चुके है रोशनी, जिन्हें मिला है पद्मश्री

रायपुर। सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट जानकीकुंड के नेत्र चिकित्सालय के निदेशक पद्मश्री डॉ. बुधेन्द्र कुमार जैन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) रायपुर का अध्यक्ष बनाया गया है। Padma Shri Dr. Budhendra became the President of All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) Raipur

पद्मश्री डॉ. बुधेन्द्र कुमार जैन

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह नियुक्ति की है। जानकीकुंड चिकित्सालय से शनिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार डॉ. जैन को इस वर्ष उनके पांच दशकों के नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए
पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।

आइए जानते हैं कौन हैं डॉ बीके जैन?उन्होंने इस नई जिम्मेदारी के लिए भारत सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय का हृदय से आभार प्रकट किया है। ज्ञात होकि इस वर्ष उन्हें नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में 50 वर्षों के योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

17 लाख लोगों की आंखों को दे चुके है रोशनी
एमपी के चित्रकूट के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. बीके जैन को इस वर्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें चिकित्सा, शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया है। उन्होंने लगभग 17 लाख लोगों की आंखों को रोशनी देने का काम किया है। इस उपलब्धि पर पूरा मध्य प्रदेश गौरावान्वित है।

देशभर में शुमार है सदगुरु नेत्र चिकित्सालय
दरअसल डॉ. बी.के. जैन सदगुरु नेत्र चिकित्सालय, चित्रकूट के संस्थापक निदेशक और ट्रस्टी हैं। 1970 के दशक में, जब उन्होंने चित्रकूट जैसे पिछड़े और आदिवासी अंचल में चिकित्सा सेवा का बीड़ा उठाया, तब संसाधनों की भारी कमी थी। लेकिन उनकी दूरदृष्टि, समर्पण और सेवा भाव ने असंभव को संभव कर दिखाया है। आज सदगुरु नेत्र चिकित्सालय केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के प्रमुख नेत्र चिकित्सा संस्थानों में शुमार है।

हर साल डेढ़ लाख होते हैं नेत्र ऑपरेशन
यहां हर वर्ष 1.55 लाख से अधिक नेत्र ऑपरेशन किए जाते हैं, और 17 लाख से ज्यादा लोग नेत्र सेवाओं से लाभान्वित होते हैं। डॉ. जैन के नेतृत्व में निर्मित संस्थान में दुनिया का सबसे बड़ा ऑफ्थैल्मिक मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर भी है। डॉ. जैन ने केवल चिकित्सा सेवा तक ही अपने दायित्व को सीमित नहीं रखा, बल्कि शिक्षा और जागरूकता के क्षेत्र में भी ऐतिहासिक कार्य किए।
यूपी और एमपी में हैं सैकड़ो नेत्र जांच केंद्र
उनके मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में चिकित्सालय के 130 प्राथमिक नेत्र जांच केंद्र हैं, जहां प्राथमिक जांच और समय पर उपचार की सुविधा मिलती है। उनकी प्रेरणा से हर साल हजारों सामुदायिक नेत्र शिविर आयोजित होते हैं। शहरी जीवन और बड़े अस्पतालों में करियर की संभावनाओं के बावजूद डॉ. जैन ने अपनी सेवाएं ग्रामीण भारत को समर्पित करने का संकल्प लिया।
नेत्र रोग में पोस्ट ग्रेजुएट हैं डॉ जैन
डॉ. जैन का जन्म मध्य प्रदेश के सतना जिले में हुआ है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतना के प्रतिष्ठित शासकीय वेंकट क्रमांक-1 विद्यालय से प्राप्त की है। बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे डॉ. जैन ने वर्ष 1973 में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज, रीवा से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। चिकित्सा के प्रति समर्पण और गहराई से अध्ययन की ललक उन्हें मुंबई ले गई, जहां उन्होंने वर्ष 1979 में लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज, सायन मुंबई से नेत्र रोग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।

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