रायपुर। श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी का परिसर रविवार की शाम रंग, रोशनी और रास गरबा की उमंग से सराबोर हो गया। नवरात्रि के पावन पर्व पर आयोजित भव्य “रास-गरबा उत्सव” ने परिसर को सांस्कृतिक रंगों से सजा दिया।
जैसे ही “ढोलीदा… चोगाड़ा… ढोल बाजे…” की धुनें गूंजीं, पूरा वातावरण उल्लास और ऊर्जा से भर गया। Rawatpura Sarkar University was immersed in the fervor of Navratri, feet danced to the beats of ‘Dholida’.
दीप प्रज्वलन से हुई आध्यात्मिक शुरुआत

उत्सव की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन और देवी दुर्गा की आराधना के साथ हुई, जिसमें विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों और फैकल्टी सदस्यों ने भाग लिया। इस आध्यात्मिक आरंभ ने आयोजन को एक भक्ति-भाव से ओतप्रोत माहौल में बदल दिया।

रास गरबा की ताल पर थिरके कदम

इसके पश्चात शुरू हुआ उत्सव का मुख्य आकर्षण – दो-ताली और तीन-ताली गरबा। विद्यार्थी और स्टाफ पारंपरिक वेशभूषा में गोल घेरे में नृत्य करते हुए गरबा की धुनों पर थिरकते नजर आए।
बॉलीवुड के चर्चित नवरात्रि गीतों – “ढोल बाजे”, “चोगाड़ा”, “ढोलीदा” आदि ने पूरे आयोजन को संगीतमय कर दिया।
रंग-बिरंगे परिधान और उत्सव की उमंग
विद्यार्थियों के परंपरागत रंग-बिरंगे परिधान, गरबा की लयबद्ध थाप, और स्टाफ की सक्रिय भागीदारी ने इस आयोजन को अत्यंत खास बना दिया। यूनिवर्सिटी का हर कोना जैसे सांस्कृतिक उत्सव स्थल में तब्दील हो गया हो।

संस्कृति और सामूहिकता का उत्सव
यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का प्रतीक बना, बल्कि इससे विद्यार्थियों और स्टाफ के बीच सामुदायिक भावना और आपसी सहयोग की भावना को भी बल मिला।
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा कि ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों में भारतीय परंपरा और मूल्यों के प्रति जुड़ाव बढ़ता है और वे अकादमिक के साथ-साथ सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध होते हैं।
