मुंबई। भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे को शनिवार को मुंबई के शिवाजी पार्क श्मशान घाट में अंतिम विदाई दी गई। उनके निधन से न सिर्फ एडवर्टाइजिंग की दुनिया, बल्कि पूरा फिल्म और कॉर्पोरेट जगत शोक में है।
अंतिम संस्कार में अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन समेत कई बॉलीवुड और विज्ञापन जगत के दिग्गज शामिल हुए। परिवार ने श्रद्धांजलि स्वरूप एक पोस्टर लगाया, जिस पर लिखा था — “वेल प्लेड कैप्टन।” यह संदेश उनकी ज़िंदगी के जज़्बे और उनके नेतृत्व की पहचान बन गया।

पीयूष पांडे का निधन 24 अक्टूबर को हुआ था। बताया जा रहा है कि कुछ समय पहले वे एक कॉन्फ्रेंस के लिए दिल्ली गए थे, जहां उन्हें संक्रमण (इन्फेक्शन) हो गया। पहले निमोनिया, फिर चिकनपॉक्स ने उनकी हालत बिगाड़ दी।
विज्ञापन की दुनिया में पीयूष पांडे को ‘एड गुरु’ कहा जाता था। उन्होंने अपने क्रिएटिव आइडियाज़ से भारतीय विज्ञापन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। ‘हर जिंदगी के साथ, हर कदम पे LIC’, ‘चलो निकलो Airtel’ जैसे यादगार कैंपेन उनके खाते में हैं।
पीयूष पांडे कहा करते थे —
“ज़िंदगी और विज्ञापन, दोनों का मकसद है जुड़ना, जीतना नहीं।”
वे मानते थे कि —
“कहानी वह होती है जो दिल से निकले, तभी वह कानों में नहीं, दिमाग में बसती है।”
उनके शब्द, उनकी सोच और उनकी मुस्कान भारतीय विज्ञापन जगत में हमेशा गूंजती रहेगी।
कम उम्र में ही शुरू की थी विज्ञापन यात्रा
पीयूष पांडे ने मात्र 27 वर्ष की उम्र में विज्ञापन उद्योग में कदम रखा था। शुरुआत उन्होंने अपने भाई प्रसून पांडे के साथ की थी। दोनों ने मिलकर रोजमर्रा के उत्पादों के लिए रेडियो जिंगल्स बनाए और उनकी आवाज़ दी।
1982 में पीयूष ने विज्ञापन कंपनी ओगिल्वी (Ogilvy) से अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। अपने रचनात्मक दृष्टिकोण और प्रभावशाली सोच के कारण उन्हें 1994 में ओगिल्वी के बोर्ड में नॉमिनेट किया गया।
विज्ञापन जगत में पीयूष पांडे को उनके यादगार कैंपेन — जैसे “हर ज़िंदगी के साथ, हर कदम पे LIC”, “चलो निकलो Airtel” और “मिल्क डे — पापा की पसंद” — के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

सम्मान और उपलब्धियाँ
अपने योगदान के लिए उन्हें 2016 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
हाल ही में, 2024 में, उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित LIA (London International Awards) लीजेंड अवॉर्ड से नवाजा गया — यह उनकी रचनात्मकता और वैश्विक प्रभाव की पहचान है।
50 दिन में गढ़ा था ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का ऐतिहासिक कैंपेन
भारतीय राजनीतिक इतिहास के सबसे यादगार अभियानों में से एक — ‘अबकी बार मोदी सरकार’ — पीयूष पांडे की रचनात्मक सोच की मिसाल था।
उन्होंने इस कैंपेन को महज़ 50 दिनों में डिजाइन किया था। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि यह अभियान गहरी रिसर्च और रणनीति पर आधारित था।

पीयूष और उनकी टीम ने नरेंद्र मोदी की इमेज और फेस को केंद्र में रखकर पूरा कैंपेन तैयार किया। उन्होंने कहा था कि इस स्लोगन की ताकत इसकी सादगी में थी — यह आम लोगों की बातचीत की भाषा में लिखा गया, ताकि देशभर के लोग इससे आसानी से जुड़ सकें।
उन्होंने बताया था कि उन 50 दिनों में टीम ने 200 से ज्यादा टीवी कमर्शियल, 100 से अधिक रेडियो विज्ञापन और हर रात 100 से ज्यादा प्रिंट ऐड तैयार किए।
हर दिन बीजेपी के नेता उनके साथ बैठकर विज्ञापनों को अप्रूव करते और खुद भी कैंपेन की क्रिएटिव प्रोसेस में शामिल रहते थे।
यह वही अभियान था जिसने भारतीय राजनीतिक विज्ञापन की परिभाषा बदल दी — सरल शब्दों, दमदार विजुअल्स और भावनात्मक जुड़ाव के ज़रिए यह नारा करोड़ों भारतीयों की ज़ुबान पर चढ़ गया।






