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बिलासपुर की पूर्वा ने 30 लाख की नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी, देशभर में हासिल किया 65वीं रैंक

वर्ष 2023 में पूर्वा अग्रवाल को आईपीएस सेवा मिली थी

छत्तीसगढ़ की तीन बेटियों ने लहराया परचम, यूपीएससी में बनाई जगह


.. मानसी, शची और केशव की मेहनत लाई रंग, सीमित संसाधनों से हासिल की बड़ी सफलता

रायपुर। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2024 का अंतिम परिणाम घोषित कर दिया है। एक बार फिर छत्तीसगढ़ के युवाओं ने देशभर में प्रदेश का नाम रौशन किया है। इस वर्ष छत्तीसगढ़ से पांच प्रतिभागियों ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की है। जिनमें तीन बेटियां और दो बेटे शामिल है। बिलासपुर की पूर्वा अग्रवाल ने अपने तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया 65वीं रैंक हासिल कर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे राज्य को गर्वित किया है। इससे पहले वर्ष 2023 में पूर्वा को आईपीएस सेवा मिली थी, जिसमें उन्हें 189वीं रैंक प्राप्त हुई थी और छत्तीसगढ़ कैडर मिला था।
खास बात यह रही कि इन सफल उम्मीदवारों में अधिकांश ने कड़ी मेहनत, त्याग और सीमित संसाधनों के बावजूद इस कठिन परीक्षा में बाज़ी मारी है। पिछले साल भी प्रदेश के चार छात्रों का चयन यूपीएससी में हुआ था। जिसमें अनुषा पिल्लई, अभिषेक डेंगे, प्रीतेश सिंह राजपूत और रश्मि पैकरा शामिल हैं।

30 लाख का सालाना पैकेज छोड़ आईएएस की तैयारी
पूर्वा ने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अर्थशास्त्र में स्नातक करने के दौरान उन्हें सिंगापुर में एक मल्टीनेशनल कंपनी से 30 लाख रुपये सालाना पैकेज की नौकरी का प्रस्ताव मिला था। लेकिन उन्होंने उसे ठुकराकर सिविल सेवा की ओर कदम बढ़ाया ताकि समाज में बदलाव ला सकें। उनका मानना है कि नौकरी में संतुष्टि ज़रूरी है, न कि केवल पैसे। पूर्वा ने बताया कि पहले प्रयास में वह मेन्स परीक्षा तक नहीं पहुंच पाईं थीं, लेकिन हार नहीं मानी। उन्होंने टाइम मैनेजमेंट और पढ़ाई की रणनीति में बदलाव किया और आज उनके सामने देश की सर्वोच्च सेवाओं के द्वार खुले हैं।

यदि मन में कुछ करने की ठान लें और सही दिशा में करें प्रयास
उनके पिता एम.एल. अग्रवाल छत्तीसगढ़ टेक्निकल एजुकेशन विभाग में एडिशनल डायरेक्टर हैं और मां एक इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट के लिए पूर्वा का कहना है कि यदि मन में कुछ करने की ठान लें और सही दिशा में प्रयास करें, तो शतप्रतिशत सफलता मिलती है। उन्होंने बताया कि पहली बार में मेंस क्लियर नहीं कर पाने की असफलता उन्हें अपनी गलतियों को दूर करने की दृष्टि से फायदेमंद साबित हुई।

मानसी को दूसरे प्रयास में मिली सफलता
जगदलपुर निवासी मानसी जैन ने यूपीएससी में 444वीं रैंक प्राप्त की है। उन्होंने 2014 में आईआईटी धनबाद से एमटेक किया और उसके बाद दिल्ली से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। मानसी ने बताया कि वो पहले प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंची थी, लेकिन उनका अंतिम चयन नहीं हो पाया था। इस बार उन्होंने पूरी तैयारी के साथ परीक्षा दी और सफलता प्राप्त की। मानसी के पिता मुकेश जैन शिक्षाकर्मी हैं और जगदलपुर विकासखंड में प्रधान अध्यापक के पद पर पदस्थ हैं। उनके परिवार ने इस सफलता को पूरे जिले के लिए गौरव का क्षण बताया है।

शची जायसवाल की मेहनत लाई रंग
अंबिकापुर की ही एक और प्रतिभाशाली छात्रा शची जायसवाल ने 654वीं रैंक हासिल की है। यह उपलब्धि उनके अथक परिश्रम और समर्पण का नतीजा है। शची की सफलता से अंबिकापुर में खुशी का माहौल है। वहीं इस सफलता का पूरा श्रेय शिक्षक और माता-पिता को देंगी।

केशव गर्ग को मिला 496वां रैंक
अंबिकापुर के केशव गर्ग ने 496वीं रैंक के साथ यह साबित किया है कि सीमित संसाधन भी बड़ी सफलता में बाधा नहीं बन सकते। नालंदा स्कूल से पढ़ाई कर चुके केशव ने बताया कि यदि रणनीति स्पष्ट हो और लगन सच्ची हो, तो यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा भी पार की जा सकती है।

अर्पण के भाई पार्षद
मुंगेली के अर्पण चोपड़ा ने 313वीं रैंक प्राप्त की है। अर्पण कांग्रेस पार्षद विनय चोपड़ा के भाई हैं और फिलहाल दिल्ली में रहकर तैयारी कर रहे थे। उनकी मेहनत ने उन्हें देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक में सफलता दिलाई।


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