-पर्यटकों की जान से खेलता प्रशासन, हर तरफ लापरवाही की बौछार
[धसकुंड, जि़ला महासमुंद, छत्तीसगढ़] प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा धसकुंड वॉटरफॉल पिछले तीन-चार वर्षो से
से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिससे रोजाना यहां पर बड़ी संख्या में युवा और परिवार यहां पिकनिक मनाने पहुंच रहे हैं। जिससे सुबह से लेकर देर शाम तक यहां पर सैकड़ों लोगों की भीड़ रहती है। लेकिन पर्यटकों की बढ़ती इस भीड़ के बीच जो सबसे चिंताजनक बात नज़र आती है, वह है — पर्यटकों को लेकर सुरक्षा व्यवस्था की घोर कमी।

झरने की ऊंचाई और फिसलन भरे पत्थर जानलेवा हो सकती साबित
जहां एक ओर झरने की ऊंचाई और फिसलन भरे पत्थर किसी भी क्षण जानलेवा साबित हो सकते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की ओर से कुछ जगहों पर सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगा कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लिया गया है। ज्ञात होकि मौके पर ना सुरक्षा रेलिंग, और ना ही किसी रेस्क्यू टीम की तैनाती की गई है। ये नज़ारे बताते हैं कि धसकुंड अब रोमांच का नहीं, लापरवाही का प्रतीक बन गया है।

कई पर्यटक फिसलकर हो चुके है घायल
स्थानीय लोगों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में यहां कई पर्यटक फिसलकर घायल हुए हैं। अभी ताजा खबर है कि जुलाई में ही एक युवक सेल्फी लेने के चक्कर में काफी उंंचाई से फिसलकर गिर गया था। जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद भी विभाग सुरक्षा के नाम पर सिर्फ चेतावनी बोर्ड या समझाइस की बात कह कर मामले को दबाने और खानापूर्ति करते दिखाई दे रहा है।

पर्यटक पहुंच रहे खतरनाक किनारों तक
बड़ी संख्या में युवा और परिवार यहां पिकनिक मनाने पहुंच रहे हैं। वहीं कई युवा तो सोशल मीडिया के लिए वीडियो और सेल्फी लेने के चक्कर में खतरनाक किनारों तक पहुंंच जाते हैं। वहां न कोई गार्ड रोकने वाला है, न कोई चेतावनी देने वाला।
प्रशासन बना मूकदर्शक
जब इस बारे में पर्यटन विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि जल्द ही सुरक्षा के इंतज़ाम किए जाएंगे। लेकिन सवाल यह है कि कब?क्या किसी और हादसे का इंतज़ार किया जा रहा है?
क्या प्रशासन की जागरूकता सि$र्फ हादसे के बाद शोक संदेश तक ही सीमित है?
जिम्मेदार अधिकारियों से यह प्रमुख मांग
यहां पहुंच रहे कई पर्यटक व ग्रामीणों की जिम्मेदार अधिकारियों से मांग है कि यहां पर तुरंत —सुरक्षा रेलिंग लगाई जाए, रेस्क्यू टीम की स्थायी तैनाती हो। चेतावनी बोर्ड के साथ बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जाए। झरने के आसपास अनियंत्रित भीड़ पर निगरानी रखी जाए।
हादसे के बजाय पर्यटकों के जहन में बने यादगार पल
जिससे यह खूबसूरत जगह हादसे की कहानी बनने के बजाय पर्यटकों के लिए यादगार बने। अब वक्त है कि प्रशासन जागे, वरना धसकुंड का नाम सुनते ही लोगों के ज़ेहन में रोमांच नहीं, डर उभरेगा।






