, बैंक अधिकारियों ने सात दिन के लक्ष्य को पांच घंटे में कर दिया पूरा
-बैंक अधिकारियों ने 98 में से 77 मामलों का किया निस्तारण
गाजियाबाद : कई बार किसी जरूरी कार्य के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ते है, कुछ इसी तरह के निर्णय को लेकर गाजियाबाद के डीएम इंद्र विक्रम सिंह इन दिनों काफी चर्चा में है। जानकारी होकि आठ जनवरी को आयोजित योजना की प्रगति समीक्षा बैठक हुई, जिसमें पता चला कि लगभग सौ आवेदन बैंक स्तर पर लंबित हैं। जिसे पूरा करने के लिए डीएम ने संबंधित बैंक व अधिकारियों को सात दिनों का समय दिया। उसके उन्होंने गुरुवार (17 जनवरी) मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना की समीक्षा बैठक ली, इसमें पता चला कि 98 मामले अब भी लंबित हैं। जिसके बाद नाराज डीएम ने तुरंत सख्त निर्णय लेते हुए बैंक अधिकारियों को लंबित मामलों का निस्तारण गुरुवार को ही करने का आदेश दिया।

सभागार के सभी दरवाजे बंद करवा दिए
उन्होंने सभागार के सभी दरवाजे बंद करवा दिए। सीडीओ अभिनव गोपाल से कहा कि यदि रात नौ बजे तक लंबित मामलों का शत-प्रतिशत निस्तारण नहीं हुआ तो संबंधित बैंक के अधिकारी सभागार में ही रात में रहकर कार्य करेंगे। बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए रजाई, गद्दों की व्यवस्था कर दी जाए। सख्ती का असर यह रहा कि रात आठ बजे तक 98 में से 56 मामलों में लोन पास कर दिया गया।
बैंक के एजीएम को गाड़ी भेजकर बैंक से बुलाया
21 आवेदन निरस्त किए गए। 21 आवेदन एसबीआइ से संबंधित लंबित बचे, जिनके निस्तारण के लिए बैंक के एजीएम राहुल झा को गाड़ी भेजकर बैंक से बुलाया गया। एजीएम के अनुरोध पर रात साढ़े नौ बजे लंबित मामलों का निस्तारण 20 जनवरी तक करने का लक्ष्य देकर वापस भेज दिया गया। इसके बाद जो लक्ष्य सात दिन में पूरा नहीं हुआ था, उसे अधिकारियों ने पांच घंटे में पूरा कर दिया। डीएम की सख्ती के बाद 77 प्रकरणों का निस्तारण रात आठ बजे तक ही कर दिया गया।
बैंक अधिकारियों की लापरवाही से मामले लंबित थे

डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि बैंक अधिकारियों की लापरवाही से मामले लंबित थे। उनका निस्तारण करने के लिए बैठक में आए बैंक के अधिकारियों को रोका गया। बिना मामलों का निस्तारण किए सभागार से उनके जाने पर रोक लगाई गई थी। सख्ती के बाद ज्यादातर मामलों का निस्तारण कर दिया गया है।