Featuredअपडेटएजुकेशनजागरूक करने जैसे कार्यताजा खबरसमाचारस्वास्थ्य

मशहूर डॉक्टर और पश्चिम बंगाल के दूसरे सीएम बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है डॉक्टर्स डे

-जब गांधी जी ने उन्हे कह दिया था- तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो।

डॉक्टर्स डे आज: आइए जानते है क्यों मनाया जाता है बीसी राय के नाम पर यह दिवस

रायपुर। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान ली है और करोड़ों लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है, लेकिन ऐसी कठिन परिस्थिति में भी डॉक्टर धरती के भगवान के तौर पर अस्पतालों में अपना फर्ज निभाते रहे। वैसे भी हर किसी जीवित प्राणी के जीवन में एक डॉक्टर की भूमिका काफी अहम होती है, जिसके बगैर जीवन जीना शायद मुश्किल है। इन्हीं डॉक्टर्स को सम्मान देने के लिए एक जुलाई का दिन समर्पित है। आज नेशनल डॉक्टर्स डे है, जो देश के प्रसिद्ध डॉक्टर और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया जाता है। 1 जुलाई 1882 को बिहार की राजधानी पटना के बांकीपुर में जन्मे डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय 5 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।

उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया और आगे की पढ़ाई के लिए कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया। 1991 में सरकार ने घोषणा की कि 1 जुलाई को हर साल नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाएगा। तब से हर साल 1 जुलाई को पूरे देश में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।

रॉय इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे
1909 में रॉय ने पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाने का फैसला किया, लेकिन विद्रोही बंगाल का होने की वजह से उन्हें वहां एडमिशन देने में आनाकानी की जाने लगी। सेंट बार्थोलोमिव्स हॉस्पिटल के डीन ने रॉय को दाखिले से रोकने की पूरी कोशिश की। उन्होंने करीब डेढ़ महीने तक रॉय को रोके रखा ताकि परेशान होकर वे वापस लौट जाएं, लेकिन रॉय इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने कॉलेज के डीन से 30 बार मुलाकात की, तब कहीं जाकर रॉय को एडमिशन मिल सका।

यह तस्वीर उस दौर की है, जब डॉ. रॉय पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री थे।

1911 में रॉय इंग्लैंड से पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे
इंग्लैंड से अपनी पढ़ाई पूरी कर 1911 में रॉय भारत लौटे। वापस आने के बाद उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, कैम्पबेल मेडिकल स्कूल और कारमाइकल मेडिकल कॉलेज में शिक्षण कार्य किया। उन्होंने कोलकाता में नए हॉस्पिटल भी शुरू किए। इस दौरान वे गांधी जी के संपर्क में आए और असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

गांधी जी से जुड़ा उनका यह किस्सा काफी प्रसिद्ध है
गांधी जी से जुड़ा उनका एक किस्सा प्रसिद्ध है। 1933 में उपवास के दौरान गांधी जी ने दवाएं लेने से मना कर दिया था। तब रॉय बापू से मिले और दवाएं लेने की गुजारिश की। गांधी जी उनसे बोले, मैं तुम्हारी दवाएं क्यों लूं? क्या तुमने हमारे देश के 40 करोड़ लोगों का मुफ्त इलाज किया है?

डॉ. बिधान चंद्र रॉय बापू के पर्सनल डॉक्टर भी थे और एक दोस्त भी।

इस पर रॉय ने जवाब दिया, नहीं, गांधी जी, मैं सभी मरीजों का मुफ्त इलाज नहीं कर सकता। मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं आया हूं, मैं उन्हें ठीक करने आया हूं जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं। इस पर गांधी जी ने उनसे मजाक करते हुए कहा- तुम मुझसे थर्ड क्लास वकील की तरह बहस कर रहे हो।
14 साल पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे
रॉय ने भारत की आजादी के बाद अपना पूरा जीवन चिकित्सा सेवा को समर्पित कर दिया। वे 1948 से 1962 तक अपने निधन तक लगातार 14 साल पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। 1961 में उन्हें भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया। 1962 में अपने जन्मदिन के दिन ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *