छत्तीसगढ़ डेस्क।
आज डॉक्टर्स डे** पर, हमें राजधानी रायपुर के सरकारी अस्पताल एम्स और अंबेडकर अस्पताल के उन असाधारण डॉक्टरों को सलाम करना चाहिए, जिन्होंने अपनी विशेषज्ञता और समर्पण से लोगों को नई जिंदगी दी है। मेकाहारा में कई दुर्लभ सर्जरी तो एम्स रायपुर में किडनी ट्रॉसफ्लांट, नवजात बच्चों के मामले में, डॉक्टरों की एक टीम ने जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर कई मरीजों को नया जीवनदान दिया है। इस प्रकार की उपलब्धियां डॉक्टरों के निस्वार्थ सेवा भाव और चिकित्सा विज्ञान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं, जिससे वे वास्तव में धरती के भगवान साबित होते हैं। आइए, डॉक्टर्स डे के मौके पर ऐसे ही कुछ खास मामलों से परिचित होते हैं, जहां डॉक्टरों ने अपने अतुलनीय योगदान से लोगों के जीवन में फिर से रोशनी भरी।
दुर्लभ सर्जरी ने बचाए लाखों रुपये
यह सर्जरी न केवल अपनी जटिलता के लिए उल्लेखनीय थी, बल्कि इसने मरीजों के परिवारों को निजी अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च होने से भी बचाया। सरकारी या सामुदायिक स्वास्थ्य सुविधाओं में की गई ये विशेष सर्जरी, यह साबित करती हैं कि उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए सुलभ हो सकती है।
क्या कहते है परिजन
औसतन कुछ मरीज के परिजनों की राय ली गई। जिसपर उनका कहना है कि डॉक्टरों का हमारे जीवन से रिश्ता जन्म से लेकर ताउम्र जुड़ा रहता है. उनकी दवा की एक पर्ची से पहले की मुस्कान और मरीज के प्रति सहानुभूति का भाव ही हर दर्द को भुला देता है। निजी अस्पतालों की मोटी फीस के उलट, सरकारी अस्पतालों में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के मसीहा बने डॉक्टरों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ रेट्रोपेरिटोनियम दुर्लभ बीमारी से राहत
रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में डॉक्टरों ने 50 वर्षीय मरीज को सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ रेट्रोपेरिटोनियम नामक दुर्लभ बीमारी से राहत दिलाई. लसीका वाहिनियों की असामान्य वृद्धि से बने तीन ट्यूमर के कारण मरीज को गंभीर तकलीफ थी. डॉ. आशुतोष गुप्ता के नेतृत्व में टीम ने पांच घंटे की जटिल सर्जरी कर ट्यूमर निकाले, जिससे मरीज को नई जिंदगी मिली और अब वह सामान्य जीवन जी सकेगा.

हार्ट फटने के बाद भी बची जान
अंबेडकर अस्पताल के एसीआई में, 75 वर्षीय बुजुर्ग को हार्ट अटैक के बाद लाया गया. जांच में मुख्य कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज मिला, जिस पर एंजियोप्लास्टी कर स्टेंट डाला गया. हालांकि, दो दिन बाद स्थिति बिगड़ी और हार्ट की दीवार फट गई, जो अत्यधिक जानलेवा थी. डॉ. केके साहू और उनकी टीम ने तत्काल जटिल सर्जरी कर बुजुर्ग को जीवनदान दिया, जब उनका दिल सिर्फ 20प्रतिशत ही काम कर रहा था.

बिना चीरा लगाए आंख की सर्जरी कर बचाई दृष्टि
रायपुर में 33 वर्षीय युवक की बाईं आंख सात साल से टेढ़ी थी, जिससे उसकी दृष्टि जाने का खतरा था. निजी अस्पतालों में इलाज के बावजूद कोई लाभ नहीं मिला. जांच में पता चला कि लैमिना पपीरेसिया नामक पतली हड्डी गल गई थी, जिससे आंख बाहर आ रही थी और उसे सिरदर्द व सांस लेने में परेशानी थी. डॉ. मान्या ठाकुर और उनकी टीम ने बिना चीरा लगाए एंडोस्कोपिक तकनीक से सफल सर्जरी की और युवक की दृष्टि बचा ली, जिससे उसका चेहरा भी ठीक हो गया.