-उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा आज
महापर्व छठ : अस्तालगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
रायपुर। सूर्य उपासना का महापर्व छठ के तीसरे दिन सोमवार को राजधानी में व्रतियों ने कमर तक पानी में डूबकर आस्थाचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान छठी मैया के गीत भी गंूजते दिखे। जिसमें पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहार। करिहा क्षमा छठी मईया,भूल-चूक गलती हमार… के गीत सुनने को मिले।

व्रती महिलाओं ने ठेकुआ, फल और प्रसाद से सजी बांस की टोकरियों में सूर्य देव को अर्घ्य दिया। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ तीसरे दिन का अनुष्ठान संपन्न हुआ। मंगलवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा। इसके लिए वे सूर्योदय के पहले घाटों पर पहुंच जाएंगे।
महादेव घाट पर भव्य आरती
रायपुर के महादेव घाट, हीरापुर घाट पर हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में छठी मैया की पूजा-अर्चना और दीप प्रज्वलन के साथ घाट भक्ति भाव से गूंज उठा। इस दौरान घाट पर वाराणसी से आए 11 पुरोहितों ने खारुन नदी तट पर भव्य आरती संपन्न कराई। पूरे घाट क्षेत्र में भक्ति संगीत, छठी मैया के गीत और ढोल-नगाड़ों की गूंज से वातावरण आध्यात्मिक हो गया।

छठ महापर्व के मौके पर व्रती महिलाओं ने बताया कि वे ३६ घंटे का निर्जला उपवास रख रही हैं, जो पूरी तरह अनुशासन, श्रद्धा और आत्मसंयम का प्रतीक है। महिलाओं ने कहा कि यह व्रत सूर्य देव और छठी मैया के प्रति अटूट आस्था का प्रतीक है, जिसमें वे बिना जल और अन्न ग्रहण किए परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं।

कई महिलाओं ने बताया कि व्रत के दौरान वे पूरी रात जागकर भक्ति गीत गाती हैं और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर उपवास पूरा करती हैं। इस कठिन व्रत के बावजूद उनके चेहरे पर असीम श्रद्धा और भक्ति की चमक दिखाई दे रही है।
60 से अधिक तालाबों पर भी छठ पूजा
सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ घाटों की ओर उमड़ पड़ी । पारंपरिक परिधानों में सजे व्रती सिर पर टोकरी और हाथों में पूजन सामग्री लेकर घाटों तक पहुंचे। इस वर्ष महादेव घाट के साथ ही व्यास तालाब, नवा रायपुर और शहर के 60 से अधिक तालाबों पर भी छठ पूजा का आयोजन किया गया। रायपुर नगर निगम ने सभी स्थानों पर सुरक्षा, सफाई और प्रकाश व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास
रविवार को खरना के साथ व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास आरंभ किया। इस दौरान व्रती न जल ग्रहण करते हैं, न अन्न। रायपुरा निवासी ललित सिंह ने बताया कि छठ पर्व धार्मिक अनुष्ठान और जीवन में अनुशासन, शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक है। व्रती महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए यह कठिन व्रत रखती हैं।

दउरा सिर पर उठा घाट पहुंचे व्रती
छठ पूजा के लिए दउरा उठा व्रती लोग घाट तक पहुंचे । जिसमें एक नारियल, पांच प्रकार के फल और अन्य पूजन सामग्री रखी जाती है। इसे घर का सदस्य सिर पर रखकर घाट तक श्रद्धा से ले जाता है।आस्था, अनुशासन और भक्ति का यह संगम एक बार फिर रायपुर की धरती पर दिखाई दिया, जहां छठी मैया के जयघोष और सूर्य स्तुति से पूरा माहौल भक्तिमय बन गया।
संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं
छठ महापर्व के मौके पर कबीरनगर सहित अन्य घाटों पर पूजा कर रही व्रती महिलाओं ने बताया कि वे 36 घंटे का निर्जला उपवास रख रही हैं, जो पूरी तरह अनुशासन, श्रद्धा और आत्मसंयम का प्रतीक है। महिलाओं ने कहा कि यह व्रत सूर्य देव और छठी मैया के प्रति अटूट आस्था का प्रतीक है, जिसमें वे बिना जल और अन्न ग्रहण किए परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं।
कठिन व्रत के बावजूद चेहरे पर असीम श्रद्धा
कई महिलाओं ने बताया कि व्रत के दौरान वे पूरी रात जागकर भक्ति गीत गाती हैं और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर उपवास पूरा करती हैं। इस कठिन व्रत के बावजूद उनके चेहरे पर असीम श्रद्धा और भक्ति की चमक दिखाई दे रही है।






