मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री अरुण साव की उपस्थिति में हुई थी
रायपुर। रायपुर में अब कचरे से गैस बनाई जाएगी। इसका प्लांट लगाने के लिए 100 करोड़ का निवेश होगा। सरकार को हर साल 1 करोड़ का GST भी मिलेगा। इसके लिए रायपुर में त्रिपक्षीय समझौता हुआ। ये MOU नगर पालिक निगम रायपुर, सीबीडीए और बीपीसीएल के बीच हुआ। रायपुर के कलेक्टर डॉ गौरव कुमार सिंह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी सीबीडीए सुमित सरकार, हेड बायोफ्यूल्स बीपीसीएल मुंबई अनिल कुमार पी., नगर निगम आयुक्त विश्वदीप की मौजूदगी में एमओयू की फाइल को साइन किया गया।

इस समझौते के अंतर्गत रायपुर के रावाभाठा क्षेत्र में हर दिन 100 से 150 टन मिश्रित ठोस अपशिष्ट एमएसडब्ल्यू से कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लांट काे स्थापित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 13 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री अरुण साव की उपस्थिति में हुई थी।
बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मिलेंगेअब बीपीसीएल इस प्लांट के निर्माण में 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। संयंत्र के निर्माण और संचालन के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 30 हजार मानव दिवस का स्थायी रोजगार उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त, निर्माण के दौरान भी स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मिलेंगे।

गैस का इस तरह होगा इस्तेमाल इस प्लांट में उत्पादित सीबीजी गैस का उपयोग नगर बसों और अन्य वाणिज्यिक माध्यमों में किया जाएगा, जिससे राज्य को हर साल लगभग 1 करोड़ रुपए का जीएसटी प्राप्त होगा। संयंत्र से सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त जैविक खाद से राज्य में जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे पर्यावरण अधिक स्वच्छ होगा।
कम्प्रेस्ड बायो गैस के क्या होंगे फायदे सीबीजी में सीएनजी की तरह ही ऊर्जा होती है और इसमें सीएनजी के समान गुणधर्म होते हैं। इसका उपयोग हरित नवीन ऑटोमोटिव फ्यूल के रूप में किया जा सकता है। देश में पर्याप्त मात्रा में बायोमास को देखते हुए ऑटोमोटिव, इंडस्ट्री और कमर्शियल क्षेत्र में सीएनजी की जगह इसका उपयोग किया जा सकता है। साथ ही कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, प्रदूषण में कमी, जलवायु परिवर्तन में लाभ, किसानों के लिए अतिरिक्त लाभ के रूप में सीबीजी को देखा जा सकता है।