अहमदाबाद। चालीस वर्ष पहले मुंबई में एक पान की दुकान से जीवन का संघर्ष शुरू हुआ था, सपनों की महानगरी के तौर पर चर्चित मुंबई में मुझे उस वक्त इस बात का जरा भी अहसास नहीं हुआ था कि पान की दुकान से मिली सीख एक दिन उन्हे उद्योगपति के तौर पर पहचान दिलाएगी। हालांकि उद्योगपति श्री पन्नालाल के लिए यह सफर बहुत सरल नहीं था। एक तरफ जहां परिवार के लोगों की मंशा थी कि पढ़ाई कर सरकारी नौकरी की जाए। दूसरी तरफ मन में कुछ नया करने का उत्साह उफान मान रहा था। इस दौरान बहुत संघर्ष और मेहनत करनी पड़ी थी। कई दिनों तक घर से बाहर रहना पड़ता था, लेकिन पत्नी कलावती जी का हर कदम पर बड़ा सहयोग मिला और बहुत कुछ पढ़िए..अहमदाबाद के उद्योगपति श्री पन्नालाल जायसवाल के जीवन यात्रा के संघर्ष और सफलताओं की अमूल्य बातें।
कई बार खाली पेट भी सोना पड़ा था
इस संघर्ष के दौरान कई बार तो बगैर खाना खाए भी सोना पड़ा, परिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही थी, वहीं आर्थिक हालात सुधरने के बजाय लगातार परीक्षा ले रही थी, लेकिन जिम्मेदारियों से कभी पीछे नहीं हटा। संषर्घ के इस सफर के दौरान बहुत लोगों का सहयोग मिला, जिसे कभी भूल नहीं सकता । जब कभी भी मुझे उनकी मदद करने का अवसर मिला, पीछे नहीं हटा। क्योंकि मेरे इस सफलता के पीछे उन सभी का सहयोग है। जिसके बदौलत आज समाज में एक पहचान मिली है।
- Home
- बायोग्राफी
- जीवन के संघर्ष में धर्मपत्नी का हर कदम पर मिला बड़ा सहयोग : सेठ पन्नालाल जायसवाल