हिन्दी पखवाड़ा समापन पर कृषि विश्वविद्यालय में संगोष्ठी सम्पन्न
रायपुर, 30 सितम्बर 2025। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में हिन्दी पखवाड़ा 2025 के समापन अवसर पर “विकसित भारत के निर्माण में हिन्दी की भूमिका” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी केवल भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, चेतना और आत्मा है। उन्होंने कहा कि हिन्दी में शिक्षा के विस्तार से ज्ञान प्राप्ति सुगम होती है और देश के विभिन्न हिस्सों में आपसी समन्वय बढ़ता है।

विदेशों में हिन्दी का प्रभाव बढ़ रहा

संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकज, भाषा वैज्ञानिक डॉ. चितरंजन कर एवं छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा उपस्थित थे। वक्ताओं ने हिन्दी को सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की धुरी बताया। डॉ. कर ने कहा कि हिन्दी विश्व में दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि श्री पंकज ने बताया कि विदेशों में हिन्दी का प्रभाव बढ़ रहा है, परन्तु भारत में इसके प्रति गर्व की भावना में कमी है।

प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया
शशांक शर्मा ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हिन्दी को राजभाषा का दर्जा तो मिला, लेकिन इसे स्थापित करने के लिए आज भी संघर्ष जारी है। संगोष्ठी की अध्यक्षता अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में अधिष्ठाता डॉ. आरती गुहे उपस्थित थीं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश बनवासी ने किया तथा आयोजन सचिव श्री संजय नैयर ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी, प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।