पीड़ित परिवार ही नहीं पूरे मोहल्ले के लोगों की आंखों में आंसू थे
साक्षी की नवजात बेटी। जन्म के 12 घंटे बाद बच्ची के मां की मौत हो गई
रायपुर।पूरा मामला रायपुर के बिरगांव नगर निगम क्षेत्र का हैं। जहां रावणभाठा स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में बच्ची को जन्म देने के 12 घंटे के भीतर 24 साल की साक्षी की मौत हो गई। महिला के पति दीपक निषाद व उनके परिवार का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पूरे मामले में लापरवाही की है। पीड़ित परिवार ही नहीं पूरे मोहल्ले के लोगों की आंखों में आंसू थे। सभी अपने घरों के बाहर खड़े होकर सिस्टम को कोस रहे थे। नवजात बच्ची अपनी दादी की गोद में थी। घर में वेलकम पार्टी की तैयारी हो चुकी थी, लेकिन निषाद परिवार के यहां खुशियां घर के दरवाजे से ही दस्तक देकर लौट चुकी।
11 बजे से लेकर तड़के तक वह तड़पती रही राजधानी में आम जनता को 24 घंटे स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से शुरू किए गए हमर अस्पताल अपनी जिम्मेदारियों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। जिसका ताजा उदाहरण बीरगांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन के जरिए हुई डिलीवरी में एक बच्ची को जन्म देने के बाद महिला की मौत हो गई। परिजनों की माने तो डिलीवरी के कुछ घंटों बाद ही साक्षी को तेज़ दर्द होने लगा। रात 11 बजे से लेकर तड़के तक वह तड़पती रही, लेकिन अस्पताल में एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। एकमात्र पुरुष नर्स ने ही साक्षी का इलाज करने की कोशिश की, और हालत बिगड़ने पर उसे अंबेडकर अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अंबेडकर अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वार्ड बॉय ने बगैर सलाह लिए दे दिया इंजेक्शन मृतिका साक्षी के पति दीपक निषाद ने बताया कि रात में अचानक साक्षी को कमर में तेज़ दर्द उठा। उसकी हालत देखकर वह घबरा गया और तुरंत डॉक्टर को बुलाने दौड़ा। लेकिन डॉक्टर का कमरा खाली था। बगल के कमरे में एक वार्ड बॉय सो रहा था। जैसे-तैसे उसे जगाया और साक्षी की हालत बताई। वार्ड बॉय साक्षी के पास आया और बिना किसी डॉक्टर की सलाह के एक इंजेक्शन दे दिया। इसके बाद करीब एक से डेढ़ घंटे तक साक्षी पूरी तरह शांत हो गई और उसने किसी भी तरह का रिस्पॉन्स देना बंद कर दिया। बार-बार साक्षी को आवाज़ दी, लेकिन वह नहीं जागी।
साक्षी की ये तस्वीर हॉस्पिटल में एडमिट होने से कुछ देर पहले की
महिला के पति दीपक के अनुसार साक्षी बहुत खुश थी। रात के करीब 11 बज रहे थे। मैं और वो साथ मिलकर बच्ची का नाम सोच रहे थे। तभी उसके कमर में दर्द उठा। मैं ड्यूटी डॉक्टर के रूम की तरफ भागा, वहां कोई नहीं था। एक कमरे में वॉर्ड बॉय सोया था। मैंने उसे जगाया। वार्ड बॉय ने आकर साक्षी को एक इंजेक्शन लगाया। दो घंटे बाद उसने रिस्पांस करना बंद कर दिया। सुबह चार बजे मेकाहारा लेकर आए, तो डॉक्टरों ने बताया कि साक्षी की मौत हो चुकी है।