अंतरराष्ट्रीय फादर्स डे पर कुछ सज्जनों से की गई बातचीत
रायपुर। पिता वो फरिश्ता है जो अपने बच्चों को पूरे जीवन भर सिर्फ और सिर्फ एक बेहतर इंसान बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करता है। जक कभी बच्चों के जीवन पर संकट आया, स्वयं के प्राण की परवाह किए बगैर हर कुर्बानी देने के लिए के लिए तैयार रहते है।
अंतरराष्ट्रीय फादर्स डे के इसी कड़ी में कुछ सज्जनों से बातचीत की गई। इस दौरान यह जानने का प्रयास किया गया कि उनके मन में पिता को लेकर क्या विचार है। उन्होंने अपने जीवन में पिता को किस प्रकार से देखते है, उनकी कही बातों या सीख पर कितना अमल कर रहे है। आपकों जानकर आश्चर्य होगा बहुत से लोगों के विचार हमें मिले, लेकिन इनमे से सभी को तय तिथि पर प्रकाशित नहीं कर सकते, इसलिए कुछ चुनिंदा ही कोट्स को प्रकाशित कर रहे है।
जीवन जितना सरल होगा उतना ही सफल होगा


पिता इस धरा पर परमात्मा के जीवंत व प्रत्यक्ष
प्रतिमूर्ति हैं। पिता का होना ही जीवन में संबल ,
सामर्थ्य और स्फूर्ति की निशानी है। पिता हैं तो ,
निश्चिंततता की सुखद अनुभूति है।
मैं आज जब आपने पिताजी स्व.उमेश कांत मिश्र
जी को याद करता हूँ तो,एक ऐसी विराट तस्वीर
उभरती है जो जीवटता, जिजीविषा व जिंदादिली की
सच्ची अनुभूति से ओतप्रोत हैं।
आदरणीय पिताजी ने मुझे अमूल्य सीख दी हैं–
जीवन जितना सरल होगा उतना ही सफल होगा।
कर्म का सिद्धांत गणित के आधार पर चलता है अत:
सही करोगो तो सही ही मिलेगा।
निराश कभी मत होना, सफलता अंतत: वीरों का वरण करती है।
आस्था व विश्वास की ताकत अटूट है।
दया और न्याय ही प्रभु की ओर ले जाते हैं।
उपर्युक्त बातों के लिए सदैव प्रयासरत रहता हूँ।
अतुल मिश्र, शिक्षक, लेखक (प्रयागराज)

मेहनत करो, फल मिले या न मिले उसकी चिंता छोड़ दो.


मेरे पिताजी का नाम स्व. श्री मणीलाल-राठौर है। उनका स्वर्गवास सन 1936 में हो गया था, तक मैं केवल 9 साल का था। पापा के द्वारा लकड़ी के क्रिक्रेट बैट बनवाना काफी यादगार रहा है। जबकि उस दौरान क्रिकेट बैट आसनी से नही मिलती थी। आज भी उनकी यह सभी यादें और सीख मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए
यदि मैं पिताजी की सबसे बड़ी सीख की बात करूं तो उन्होंने मुझे यही सीख दी कि मेहनत करो, फल मिले या ना मिले, उसकी चिंता छोड़ दो।
इसके साथ ही उन्होंने लोगों से मधुर भाषा बोलते की बात कही। पापा कहते थे कि कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए।आज मैं दो बेटियों का पिता हूं, ऐसे में पिताजी से मिली सीख बहुत काम आती है। जिससे उनकी कमी के साथ पापा हमेशा याद आते है।
डॉ विनय राठौर, नेफ्रालांजी विभाग एम्स रायपुर
—–पिता का रखो सम्मान
तभी बनोगे आप महान
पिता की सख्ती बर्दाश करो,
ताकि योग्य बन सको,
पिता की बातें गौर से सुनो,
ताकि दुसरो की न सुननी पड़े,

माँ का स्थान भी निश्चित ही अपनी जगह है !
माँ के कदमों में स्वर्ग है
पर पिता स्वर्ग का दरवाजा है,
ना कोइ माता पिता के जैसा प्यार ना कर सकता है, अपने बच्चों से !!
याद रख़ें पिता सूरज जैसा
गरम दिखता ज़रूर है
पर उसमें गर्मी नहीं होती!!
–पंडित श्यामजी महाराज, कथा वाचक, प्रयागराज



मेरे पिता मेरे हीरो है…
मेरे पिता मेरे जीवन में बहुत खास व्यक्ति हैं। वह बहुत ही दयालु हैं और हमेशा परिवार की मदद करते हैं। वह हर दिन काम करके परिवार का ख्याल रखते हैं। मेरे पिता मेरे हीरो हैं, क्योंकि वे मुझे स्कूल तक पहुँचाते हैं। वह मेरे साथ रहते हैं और स्कूल के दिनों में मेरे होमवर्क को पूरा कराने में मदद करते हैं। मेरे पिता बहुत ही प्रतिभाशाली है और हमेशा मुझे चॉकलेट देते थे।
कृतज्ञ और चरविक दुबे, रायपुर


सत सत नमन वंदन बाबू जी..
हमारे जीवन का सबसे अद्वितीय पल जब परम पूज्य पिताजी स्वर्गीय श्री कन्हैया लालजी डाकलिया के साथ मनोहर गौशाला खैरागढ़ के निर्माण की प्रथम शुरुवात किया।
यह आदरणीय बाबूजी जी का परम आशीर्वाद ही है, जो आज मनोहर गौशाला विश्व स्तरीय कार्य कर रही है ।
आदरणीय बाबूजी ने अपनी हाथों से मनोहर गौशाला खैरागढ़ का शुभारंभ 29 जनवरी 2015 को किया था।
आपका आशीर्वाद दिव्य लोक से हम सभी को सदैव मिलता रहे
सत सत नमन वंदन बाबू जी….
- मनोहर गौशाला के ट्रस्टी डॉ. अखिल जैन (पदम डाकलिया)



सदैव दूसरों की मदद करनी चाहिए..
मेरे पिताजी श्री युवराज सेंदे्र ने बचपन से ही हमे यही शिक्षा दी कि लोगों से बेईमानी नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी तरह से जीवन में कभी किसी का मजाक नहीं बनाना चाहिए। उनकी कही कई बाते आज मेरे जीवन में बहुत काम आती है, बड़ों की इज्जत करना और छोटों को स्नेह देना जैसे कई सीख पापा ने ही बतलाई है। जिसे कभी भुला नहीं सकता है।
लव यू पापा … भागीरथी सेंदे्