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अंतर्राष्ट्रीय OMS दिवस: मुंह के कैंसर होने पर घबराएं नहीं, तुरंत उपचार पर होगा ठीक: डा समीर

एसोसिएट प्रोफेसर डा समीर पाण्डेय ने कहा- अधिकतर मरीज की उम्र 30 के बीच, यूपी, देश के अन्य राज्यों में सबसे आगे

क्रैनियोमैक्सिलोफेशियल सर्जरी में देश के पहले एमसीएच है डा समीर

व्यवसाय खबर, पंकज दुबे :पिछले 20 वर्षों में नौजवान लड़कों में सुपारी और तबाकू का सेवन बढ़ा हैं, ऐसा अक्सर फिल्म अभिनेताओं के प्रचार से प्रभावित हो कर युवा नशीले पदार्थो का सेवन कर रहे है। जिसकी वजह से आज बड़ी तेजी से देशभर में ओरल कैंसर (Oral Cancer) एक गंभीर बीमारी बनती जा रही है। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ (उप्र) के एसोसिएट प्रोफेसर डा समीर पाण्डेय ने अंतर्राष्ट्रीय OMS दिवस पर व्यवसाय खबर से ओरल कैंसर व उससे जुड़े कई विषयों पर चर्चा की। डा पाण्डेय ने बताया कि मुंह के कैंसर होने पर घबराएं नहीं, यदि मरीज को तुरंत उपचार शुरू हो जाए जल्द ठीक हो जाएगा :

  • 2015 में पहला अंतर्राष्ट्रीय OMS दिवस गया
  • इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन्स (IAOMS) ने 13 फरवरी, 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय OMS दिवस मनाया। अब इसे हर साल 13 फरवरी को मनाया जाता है। इस कार्यक्रम की स्थापना जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जनों की भूमिका को साझा करने के लिए की गई थी।
एसोसिएट प्रोफेसर डा समीर पाण्डेय

आपको बता दूं कि डा समीर, क्रैनियोमैक्सिलोफेशियल सर्जरी में देश के पहले एमसीएच है। जोकि एम्स ऋषिकेश और एम्स रायपुर में पूर्व वरिष्ठ रेजिडेंट अकादमिक, पूर्व सीनियर रेजिडेंट सहित कई प्राइवेट अस्पतालों में कार्य कर चुके है। इस दौरान आपने ओरल कैंसर से जुड़े कई गंभीर मरीजों का बेहतर उपचार कर उन्हे नई जिंदगी दी।

सिर्फ नशीले पदार्थों का सेवन ही जिम्मेदार नहीं
एसोसिएट प्रोफेसर डा समीर ने बताया कि ओरल कैंसर (Oral Cancer) एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें मुंह के अंदर के tissues में असामान्य और अनियंत्रित कोशिका की वृद्धि होती है। इस बीमारी का नाम सुनते ही सबसे पहला जो कारण हमारे जहन में आता है, तो वो है तंबाकू, सिगरेट, नशीले पदार्थों का सेवन है। लेकिन आप जानते हैं कि मुंह का कैंसर होने के लिए सिर्फ नशीले पदार्थों का सेवन ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि HPV संक्रमण, खराब ओरल हाइजीन, दांतों की समस्या, दांतों में लंबे समय तक घाव या जलन होना, पोषक तत्वों की कमी और आनुवंशिकी जिम्मेदार है।

इंटरनेट

मुंह का कैंसर में यूपी अन्य राज्यों में सबसे आगे
एसोसिएट प्रोफेसर डा समीर ने बताया कि मुंह के कैंसर की बीमारी में ओरल सबम्युकस फाइब्रोसिस (Oral Submucous Fibrosis) जो कैंसर पूर्व स्थिति है। दुनियाभर में प्रतिवर्ष मुंह के कैंसर से मरने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई है, ऐसे में यदि भारत में ही बात की जाए तो हर साल लगभग ओरल कैंसर के 77 हजार मामले सामने आते हैं। जो दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं। टाटा कैंसर मुंबई के अनुसार हर वर्ष केवल मुंह के कैंसर से भारत को चार हजार करोड़ का नुकसान होता हैं । उन्होंने बताया कि, इस बीमारी का विस्तार इतना भयावह है कि प्रति घंटे देश में करीब पांच लोगों की मुंह के कैंसर से दर्दनाक मौत हो जाती है। इस बीमारी की मृत्युदर भी कहीं अधिक है, जिसमें मरीजों की उम्र 30 से 40 वर्ष होती है। वहीं, सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि इसमें यूपी, देश के अन्य राज्यों में सबसे आगे है।

इन बातों का विशेष रखें ध्यान
एसोसिएट प्रोफेसर डा समीर ने बताया कि अगर मुंह में कोई भी छाला है और जो दो हफ्तों से ज्यादा है यदि ठीक नहीं हो रहे है, इसी प्रकार से मुंह में सफेद पैचेज है, खाना खाते हैं और खाना में मौजूद मसाले लगते हैं, आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। मुंह के कैंसर के लक्षण शुरुआत मामूली हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ यह गंभीर रूप ले सकते हैं।

  • मुख कैंसर से बचने के उपाय
    -यदि आप तम्बाकू का सेवन करते हैं तो तुरंत इसका सेवन बंद करना होगा ।
    -अपने मुंह के अंदर की शीशे के सामने खड़े हो कर जांच करें ।
    -कैंसर को पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके छले में से टुकड़ा निकलने की सलाह देगा इसको बयोप्सी कहते है।
    -बयोप्सी करवाना बहुत जरूरी होता हैं। इसके बिना कोई भी बीमा या आयुष्मान की सुविधा नहीं मिलेगी
  • -बयोप्सी की रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर जरूरी निर्देश या अन्य जांचे भी करवा सकता है।

डाक्टर समीर से कुछ जरूरी सवाल

मुंह की जांच कौन से डाक्टर से करवानी चाहिए ?
यदि आप ग्रामीण क्षेत्रों में रहते है, तो सबस पहले जिला अस्पताल में उपलब्ध दन्त चिकित्सक या ENT विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। मुंह के कैंसर का ऑपरेशन MCh सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, हेड एंड नैक सर्जन, MDS ओरल एंड मैक्सिलोफासिअल सर्जन जोकि ओरल कैंसर में प्रशिक्षित होते है। इसी तरह से किसी भी शहर में कैंसर अस्पताल में मुंह के कैंसर की एक टीम होती है, जिसमें एमडीएस ओरल एंड मैक्सिलोफासिअल सर्जन से जांच कराई जा सकती है।

-क्या आयुष्मान में होता हैं इसका इलाज?
बिल्कुल, मुंह के कैंसर का इलाज आयुष्मान योजना के अंतर्गत विशेषज्ञ डाक्टरों की निगरानी में होती है।
-क्या केवल आपरेशन से हो जायेगा पूरा इलाज ?
नहीं, यदि कैंसर ज्यादा बड़ी स्टेज में होता हैं तो ऑपरेशन के बाद रेडिएशन और कीमोथेरेपी भी लेनी पड़ सकती है।
-आयुष्मान कार्ड न होने पर आर्थिक सहायता कैसे मिलेगी?
अलग-अलग राज्यों में वहां की सरकार इस तरह के रोग में मरीजों को आर्थिक तौर पर सहयोग कर रही है। इसी तरह से उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री राहत कोष में मुंह के कैंसर मरीज की रिपोर्ट और संभावित खर्च के सभी कागज जमा करने पर सहयोग प्राप्त की जा सकती है।-फास्ट फूड के बढ़ते चलन से इसका दांतों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
इधर, इन दिनों फास्ट फूड का चलन बढ़ा है। फास्ट फूड व मीठा से परहेज कर दांतों को कीड़ों से बचाया जा सकता है। साथ ही दांतों की नियमित सफाई भी आवश्यक है। सुबह व रात में सोने से पूर्व ब्रश अवश्य करना चाहिए। ब्रश करने का तरीका सही न होने पर मसूड़ों में घाव हो जाता है, जिससे सूजन व दर्द बढ़ता है।
-दांत की सफाई नहीं करने से क्या पायरिया बीमारी का खतरा है ?
दंत चिकित्सक से ब्रश करने का सही तरीका पूछकर दांतों की सफाई उस अनुसार करना चाहिए। इससे दांत व मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। दांतों की सफाई में लापरवाही करने पर पायरिया बीमारी का खतरा बढ़ता है। मसूड़ों से खून निकलना, सूजन, मुंह से बदबू आना आदि इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं।
-क्या ओरल सेक्स से भी मुंह कैंसर की संभावनाए रहती है ?
देखिए, भारत में होने वाले कैंसर अभी मुख्य रूप से तंबाकू और पान मसाले से हो रहे हैं। वहीं यदि आपके प्रश्न का जवाब दूं तो ओरल सेक्स से यौन बीमारियों जैसे syphilis hiv इत्यादि रोग की संभावनाए है। वायरस से होने वाले कैंसर से मुंह के अंदर तालू से पीछे में रोग के अधिक मामले बढ़ रहे है। इसके साथ ही असुरक्षित तरीके से किया गया कोई भी शारीरिक संबंध कैंसर का कारण बन सकता है।
-अंत में युवाओं को जागरूकता के लिहाज से क्या कहना चाहेंगे?
देखिए, किसी भी रोग में सबसे पहले यही बड़ी बात है कि उसके लक्षण दिखने पर तुरंत संबंधित डाक्टर से जांच कराए। ओरल कैंसर के मरीजों का उनके परिवार के लोग सही से देखभाल करें, जिससे उन्हे उपचार कराने में हिम्मत बढ़ेगी। इसके साथ ही अंत में युवाओं यहीं कहना चाहूंगा कि तंबाकू नहीं जिंदगी चुने, परिवार के लिए नशा छोड़े……


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