सत्य साई महिला स्वसहायता समूह से जुड़ी 350 महिलाएं, लिप बाम, कैंडल, खुशबूदार साबुन से लेकर मल्टीग्रेन आटा
अर्चना पाठक
छत्तीसगढ़ (रायपुर)।Life stopped till stove and utensils got a new path, now village women are selling organic products across the country. किसी भी कार्य की सफलता के पीछे सबसे जरूरी बात उस कार्य के प्रति लोगों का समर्पित होकर उसे पूरा करना होता है, जिसके बगैर सफलता पाना आसान नहीं है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सत्य साई स्वसहायता समूह की महिलाओं पर यह बात सौ फीसद सच साबित होती है। क्योंकि ब्लाक धरसींवा गांव टेकारी की लगभग 350 किसान महिलाओं के इस समूह में कई महिलाएं तो स्कूल तक नहीं गई है।
सत्य साई महिला बहद्देशीय सहकारी मयर्यादित समूह की अध्यक्ष गिरिजा बंजारे नेव्यवसाय खबर डाट काम से चर्चा करते कहा कि गांव की सैकड़ों किसान महिलाओं का जीवन कुछ वर्ष पहले चूल्हा- बर्तन और परिवार में ही थम गई थी, लेकिन समूह से जुड़ने के बाद अब जिंदगी को एक नई राह मिली। जिसके बाद रायपुर या कहे छत्तीसगढ़ से कभी बाहर नहीं गई महिलाएं अब हनी वैक्स से लिप्स्टिक और लिप बाम, खुशबूदार साबुन से लेकर मल्टीग्रेन आटा तक के लगभग आठ जैविक उत्पाद तैयार कर रही है।
लघु कृषक व्यापार संघ के माध्यम से आनलाइन बिक्री
जिसे देशभर में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय,के माध्यम से आनलाइन ग्राहकों तक पहुंचा रही है। उपरोक्त संगठन का बहुत सहयोग हर कदम पर मिला हैं।
समूह ने बनाया पहला प्रोडक्शन हाउस
सत्य साई स्वसहायता समूह की अध्यक्ष टेकरी की गिरिजा बंजारे कहती हैं कि प्रदेश की पहली कोआपरेटिव सोसायटी बनाई थी, जिससे आज 350 महिलाएं जुड़कर आत्मनिर्भर बनी है। जो महिलाएं कभी अपने गांव से बाहर नहीं गई, आज वही महिलाएं पूरे देश का भ्रमण कर रही है। उनके बनाए उत्पाद देशभर में सप्लाई हो रहे है। आज हम वो सारी चीजें बना रहे है, जिसे उच्च शिक्षित लोग ही बना सकते है। आंखों में आत्मनिर्भरता की चमक भरते हुए टेकरी की ग्रेज्युएट गिरिजा कहती हैं कि हमारे ग्रुप में कई महिलाओं को काम ही नहीं मिला है, आज वह आत्मनिर्भर हो रही है। लिखना पढ़ना तक नहीं आता, लेकिन आज समूह की महिलाएं अपना उत्पाद बनाकर उसकी मार्केटिंग भी खुद ही करती है।
रायपुर के कृषि विज्ञान केंद्र का मिला साथ
बंजारे कहती है कि पहले हम अपने स्तर पर कार्य करते थे, लेकिन लोगों तक पहुंच नहीं बना पा रहे थे। ऐसे में रायपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डाक्टर गौतम राय जी के मार्गदर्शन में 20-20 महिलाओं के समूह को विभिन्न जैविक उत्पादन को तैयार करने लिए ट्रेनिंग दी गई। इसी तरह से स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन और रायपुर कलेक्टर डॉक्टर गौरव कुमार सिंह सर ने भी प्रोत्साहित किया। जिसके बाद से हमारे काम को गति मिली।
मेले में शामिल होने का कई जानकारियां मिली
इसी तरह से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और लघु कृषक कृषि व्यापार संघ की तरफ से लगातार प्रोत्साहित किया गया। दिल्ली के हौज खास स्थित एनसीडीसी कैंपस में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) में आयोजित मेला में शामिल होने का मौका मिला। जहां पर 18 राज्यों के 40 किसान उत्पादक संगठनों ने शिरकत किया था। ज्यादातर उत्पाद जैविक से जुड़े हैं। इसमें शामिल होकर समूह की महिलाओं को भी बहुत सी जानकारियां मिली। आयोजित मेले में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के निर्देशक पंकज बंसल और लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) की प्रबंध निदेशक डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी, (आईएएस) और सेक्रेट्री अशीष भुटानी जैसे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। जिन्होंने निरीक्षण के दौरान समूह के उत्पादों और कार्यों की भी प्रोत्साहित करते हुए तारीफ़ की।
नए उत्पादन बनाने का प्रशिक्षण भी ले रहे हैं
गिरिजा कहती है कि आज हम कई राज्यों में जाकर अपने बनाए उत्पाद बेच रहे हैं। इसी प्रकार से मॉल, बाजार हाट, कालोनियों में भी समूह की किसान महिलाएं लीप बाम, मल्टीग्रेन आटा सहित अन्य उत्पाद को बेच रही है। साथ ही कई नए सामान बनाने का प्रशिक्षण भी ले रहे हैं। पिछले महीनों में ही ग्रुप की कुछ सदस्यों ने देहरादून सहित कई राज्यों में जाकर प्रशिक्षण लिया है। जिससे मधुमक्खी के छत्ते से हनी वैक्स, लिप बाम, लिपिस्टिक और अन्य उत्पाद बनाना शुरू किया गया। इसी तरह से अलसी का माउथ फेशनर हल्दी व जिमीकंद का अचार, खुशबू वाले कैंडल, पिनाइल, बडी, पापड़, आर्गेनिक साबुन आदि बनाते हैं। अब समूह कॉस्मेटिक सामान के साथ मसाले भी बनाने की तैयारी कर रहा है।