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एनआईटी का सर्तक एप, अब हाथियों के हमले से ग्रामीणों को बचाएगा

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..सेंसर-एआई से होगा हाथियों का ट्रैक
..जंगल के किनारे बसे गांव होंगे सुरक्षित
..मूवमेंट का डेटा रिकॉर्ड करेगी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के जंगलों से सटे गांवों में रहने वाले हजारों लोगों के लिए एक राहत की खबर है। एनआईटी के प्रोफेसर डॉ. दिलीप सिंह सिसोदिया और डॉ. दीपक सिंह के नेतृत्व में एक अभिनव परियोजना पर डिजाइन की गई है।

छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से स्वचालित प्रोजेक्ट हाथी ट्रैकिंग व शीघ्र चेतावनी के रूप में होगा। इस अलर्ट सिस्टम से हाथियों के हमले से होने वाले जान-माल के नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी।

लंबे समय तक उपयोग कर पाएंगे
यह प्रणाली हाथियों की मूवमेंट का डेटा रिकॉर्ड करेगी, जिसे सरकार, वन विभाग और नीति-निर्माता लंबे समय तक उपयोग कर पाएंगे। यह अध्ययन शांतिपूर्ण मानव-वन्यजीव सहअस्तित्व की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह केवल टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि ग्रामीणों को सुरक्षा का एहसास दिलाने की कोशिश है।

तीन चरणों में होगा सिस्टम का क्रियान्वयन

  1. मोबाइल अलर्ट सिस्टम: जैसे ही किसी क्षेत्र में हाथियों की मौजूदगी की जानकारी मिलती है, पास के गांवो को तुरंत एसएमएस या ऐप नोटिफिकेशन भेजा जाएगा।
  2. सेंसर तकनीक: हाथियों की आवाज़ और पैरों की आहट पहचानने वाले उन्नत सेंसर लगाए जाएंगे, जो अनुमान लगाएंगे कि हाथी कितनी दूरी पर हैं और कितनी देर में गांव तक पहुंच सकते हैं।
  3. एआई आधारित पूर्वानुमान: एआई तकनीक से हाथियों की गतिविधियों का विश्लेषण कर उनके व्यवहार, प्रवास मार्ग और भविष्य की चेतावनियों की योजना बनाई जाएगी।

ग्रामीणों को मिलेंगे समय पर मिलेगा ये अलर्ट
स्मार्टफोन पर नक्शे सहित रियल-टाइम लोकेशन अलर्ट
फीचर फोन वालों को मिलेगा एसएमएस अलर्ट
स्थानीय भाषा में चेतावनी, इंटरनेट के बिना भी काम करने में सक्षम

परंपरागत उपाय से मिलेगी राहत
परंपरागत उपाय जैसे ढोल-नगाड़े या आग की जगह अब वैज्ञानिक, तेज़ और सटीक सिस्टम काम करेगा। यह प्रोजेक्ट इंसानों और हाथियों दोनों की जान बचाएगा।
डॉ. दिलीप सिंह सिसोदिया, प्रोजेक्ट पीआई, एनआईटी रायपुर

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