विभाग जारी कर रहा है नोटिस, अपील में फंस रहे हैं मामले, – रिटर्न में चूक होने पर ठीक करवाने की सहूलियत नहीं
कानपुर: एक जुलाई को जीएसटी लागू हुए सात वर्ष पूरे हो जाएंगे। लेकिन अभी तक व्यापारियों और उद्यमियों को अपने रिटर्न को संशोधित करने की अनुमति नहीं मिली। इसके कारण जहां अधिकारी नोटिस जारी कर रहे हैं, वहीं उद्यमियों और व्यापारियों को मजबूरी में टैक्स का दस प्रतिशत जमा करके अपील में जाना पड़ रहा है।
संशोधित करने की छूट नहीं है
वैट के समय रिटर्न फाइल करने के दौरान अगर कोई गड़बड़ी हो जाती थी तो उसे रिटर्न को संशोधित करने की छूट होती थी। इससे आंकड़े सही हो जाते थे। लेकिन जीएसटी में यह व्यवस्था नहीं है, जबकि आयकर और एक्साइज में यह सुविधा लागू है। कारोबारियों के मुताबिक, जीएसटीआर-1 दाखिल करते समय किसी बिक्री का आंकड़ा फीड नहीं हो पाता है और तुरंत पकड़ में आने के बावजूद व्यापारी उस रिटर्न को संशोधित नहीं कर सकता है। बिक्री के इस आंकड़े को अगले माह ही दिखाया जा सकता है। लेकिन इस एक माह का व्यापारी को 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देना पड़ता है। इतना ही नहीं, इस बीच जीएसटी अधिकारी इस बिक्री को न दिखाने का नोटिस जारी कर ब्याज के साथ अर्थदंड भी लगा सकता है।
3बी रिटर्न में इसका टैक्स जमा नहीं करता है
व्यापारियों के खाते देखने वाले अकाउंटेंट कई-कई फर्म का एक साथ काम करते हैं। सभी के कागजात उनके पास होते हैं। ऐसे में कई बार जीएसटीआर-1 में ऐसी बिक्री भी दिखा दी जाती है । जिसका व्यापारी से कोई मतलब नहीं होता। कारोबारी 3बी रिटर्न में इसका टैक्स जमा नहीं करता है। ऐसी स्थिति में अधिकारी नोटिस जारी कर देते हैं, जिसमें टैक्स के साथ ब्याज और अर्थदंड मांगा जाता है। मामले अपील में जाते हैं तो वहां भी ज्यादातर मामलों में व्यापारी की बात नहीं मानी जाती। मजबूरी में उसे टैक्स, ब्याज, अर्थदंड उस बिक्री के लिए देना पड़ता है, जो उसने की नहीं।
आइटीसी के गलत समायोजन के मामले भी लंबित
जीएसटी लागू होने के वित्त वर्ष 2017-18 और उसके बाद 2018-19 के कारोबार का शुरुआती दौर होने से आइटीसी के गलत समायोजन के मामले अब तक ठीक नहीं हो पा रहे हैं। उन पर जितना टैक्स नहीं है, उससे ज्यादा अब तक ब्याज बन चुका है। संतोष कुमार गुप्ता के मुताबिक, रिटर्न में संशोधन की सुविधा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल है। न्यायालय ने मामले में जवाब भी मांगा है। कारोबारियों की सुविधा के लिए रिटर्न संशोधन की सुविधा दी जानी चाहिए।