इनडोर स्टेडियम में जैन तपस्वियों के सामूहिक पारणा और बहुमान समारोह का आयोजन
रायपुर । माता कौशल्या की धरती, प्रभु राम के ननिहाल की धरा धन्य है। यहां ऋषि मुनियों, साधु संतों का आगमन होता रहता है। जैन संतों का त्याग, तपस्या, संयम, खान- पान, दिनचर्या, बगैर पादुका के सदैव पैदल चलना और जैन समाज में क्षमा मांगने की परंपरा है। जो क्षमा मांग लेता है, उससे बड़ा कोई नहीं। ये बातें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इनडोर स्टेडियम में आयोजित जैन तपस्वियों के सामूहिक पारणा और बहुमान समारोह में कही। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष डा. रमन सिंह और सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी मौजूद रहे।
115 तपस्वियों ने किया अद्भुत तप
डा. रमन ने कहा कि 115 तपस्वियों ने अद्भुत तप किया। यह कठिन तप गुरुओं के आशीर्वाद से संभव हुआ है। तप के प्रभाव से हमारा प्रदेश निश्चित रूप से विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा और सुख, शांति और समृद्धि बढ़ेगी। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि तपस्वियों ने जो कठिन सिद्धि तप किया है, वह उन्हें शिखर पर पहुंचाएगा। यह तपस्या जन्मभूमि, कर्मभूमि को समृद्धशाली, वैभवशाली बनाएगी। यदि मुझसे कोई गलती हुई है तो मन, वचन, काया से क्षमा मांगता हूं। कार्यक्रम में विधायक राजेश मूणत समेत काफी संख्या में जैन समाज के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
जैन धर्म को अहिंसा, करुणा में विश्वास : मुनि विजय
मुनि तीर्थप्रेम विजय ने कहा कि अमेरिका के भूतपूर्व उपराष्ट्रपति ने अपनी किताब में लिखा कि चलो एक ऐसा धर्म बनाएं जो अहिंसा और करुणा में विश्वास रखता हो। ऐसा कोई धर्म बनाने की जरूरत नहीं है। एक ऐसा धर्म है जो अहिंसा और करुणा का समर्थन करता है जो किसी जीव का दिल नहीं दुखाता। जिसमें एवरेस्ट की ऊंचाई भी है और अटलांटिक की गहराई भी। वह जैन धर्म है। यहां 11 साल का बालक हो चाहे 80 साल के वरिष्ठ, 44 दिनों में 115 तपस्वियों ने 4,500 से अधिक सिद्धि तप का कठिन उपवास किए हैं। तपस्वियों ने सर्व का कल्याण हो, इस भावना के साथ सिद्धि तप का उपवास कर सिद्धि शिखर में विजय पताका फहराई है। मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम से जुड़े हैं तो राज्य के अंदर दया, करुणा, प्रेम, मैत्री सौहार्द का वातावरण बनेगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात है।