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अब इंजीनियरिंग विषयों के साथ छात्र श्रीमद्भागवत गीता का भी करेंगे अध्ययन

.. आर्यभट्ट से श्रीमद्भगवद्गीता तक: इंजीनियरिंग कोर्स में शामिल हुए 4 नए विषय
.. बीटेक सिर्फ डिग्री नहीं, बनेगा चरित्र निर्माण का मंच

रायपुर। प्रदेश में अब इंजीनियरिंग शिक्षा सिर्फ तकनीकी ज्ञान तक सीमित नहीं रहेगी। राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करते हुए इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया है। नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 से छात्रों को इंजीनियरिंग के साथ-साथ श्रीमद्भगवद्गीता, भारतीय संस्कृति, संविधान, खगोल विज्ञान, ज्योतिष और प्राचीन गणित जैसे विषय भी पढ़ाए जाएंगे। उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, इन विषयों को

यह बदलाव आधुनिक पढ़ाई में जरूरी: इंजीनियरिंग शिक्षा में शामिल कर छात्रों को न केवल एक कुशल इंजीनियर, बल्कि एक जागरूक और संस्कारित नागरिक के रूप में विकसित किया जाएगा। यह पहल देश की परंपराओं और वैज्ञानिक विरासत को आधुनिक तकनीकी शिक्षा से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।

हर वर्ष एक उपलब्धि: सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और फिर डिग्री

नए पाठ्यक्रम के तहत मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एग्जिट सिस्टम लागू किया जा रहा है। अब छात्र एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दो वर्ष में डिप्लोमा और चार वर्ष में बी.टेक डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। यह प्रणाली छात्रों को अधिक लचीलापन और व्यावसायिक अवसर प्रदान करेगी।

फिजिक्स भी ब्रांच-वार होगी, स्किल आधारित विषय अनिवार्य

पहले वर्ष में अब सभी छात्रों को एक जैसा फिजिक्स नहीं पढ़ना होगा। ब्रांच के अनुसार फिजिक्स का पाठ्यक्रम अलग होगा, जैसे इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए अलग-अलग किताबें होंगी। साथ ही, हर छात्र को स्किल आधारित विषय भी पढ़ना अनिवार्य होगा। उदाहरणस्वरूप, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग जैसे व्यावहारिक विषयों का अध्ययन करना होगा।

प्राचीन भारतीय ज्ञान अब आधुनिक शिक्षा का हिस्सा

छात्र अब आर्यभट्ट, वराहमिहिर और ब्रह्मगुप्त जैसे प्राचीन गणितज्ञों के योगदान को पढ़ेंगे। पाठ्यक्रम में फाउंडेशन कोर्स ऑफ एंसिएंट इंडियन नॉलेज सिस्टम को पहले सेमेस्टर में शामिल किया गया है। तीसरे सेमेस्टर में इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज साइंस एंड प्रैक्टिसेस के तहत ज्योतिष, खगोल विज्ञान और स्थापत्य कला को पढ़ाया जाएगा।

चार नए अनिवार्य विषय इस तरह होंगे शामिल

पहला सेमेस्टर: प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली का आधार
दूसरा सेमेस्टर: श्रीमद्भगवद्गीता जीवन और ब्रह्मांड का मार्गदर्शन
तीसरा सेमेस्टर: भारतीय पारंपरिक विज्ञान और प्रथाएं
चौथा सेमेस्टर: भारतीय संस्कृति और भारतीय संविधान

राज्य के 28 इंजीनियरिंग कॉलेज होंगे लाभान्वित

प्रदेश के सभी 28 इंजीनियरिंग कॉलेजों में यह नया पाठ्यक्रम लागू होगा। उच्च शिक्षा विभाग इसे चरणबद्ध तरीके से लागू कर रहा है और संकायों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह कदम छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप न केवल तकनीकी दृष्टि से मजबूत बनाएगा, बल्कि युवा पीढ़ी को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और वैज्ञानिक धरोहर से भी जोड़ने का कार्य करेगा।

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