नई दवाइयों का मरीजों की बीमारियों पर होने वाले असर को जानने में सेंटर की होगी अहम भूमिका ।
भिलाई : अमेरिका की एजेंसी ने छत्तीसगढ़ भिलाई के स्पर्श हास्पिटल को क्लीनिकल ट्रायल सेंटर का दर्जा दिया है। Research: BHILAI Sparsh Hospital becomes the first clinical trial center of Central India नई दवाइयों का मरीजों की बीमारियों पर होने वाले असर को जानने में अब भिलाई भी अहम भूमिका निभाएगा। ऐसी बीमारियां जिनमें मौजूदा दवाइयां कारगार साबित नहीं हो पा रही, उनमें रिसर्च के बाद तैयार की नई दवाइयों की प्रभावशीलता जानने भिलाई के स्पर्श मल्टी स्पेशिलिटी हास्पिटल को मध्यभारत का पहला क्लिनिकल ट्रायल सेंटर बनाया गया है। अमरीकी रेगुलेटरी अफेयर्स एंड क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसी के डा. मुकेश कुमार ने बताया कि स्पर्श हास्पिटल को क्लिनिकल ट्रायल सेंटर बनाने का फैसला करने से पहले विभिन्न मापदंडों पर संस्था को परखा गया।
गंजेपन की बीमारी से होगी ट्रायल की शुरुआत
अमेरिका की ड्रग परीक्षण एवं रेगुलेशन एजेंसी एफडीए मैप ने स्पर्श हास्पिटल का सूक्षम निरीक्षण करने के बाद क्लिनिकल ट्रायल सेंटर का सर्टिफिकेट दे दिया है। इस सेंटर में सामान्य मर्ज से लेकर लाइलाज बीमारियों के लिए उपयोग में लाई जा रही नई दवाइयों पर रिसर्च होगी। हास्पिटल में क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत एंड्रोजेनिक एलोपेशिया यानी गंजेपन की बीमारी से होगी। वे मरीज क्लीनिकल ट्रायल के जरिए इजाद की गई नई दवाइयों को आजमा सकेंगे।
नए ट्रीटमेंट की पूरी लागत फ्री में मुहैया कराई जाएगी
स्पर्श हास्पिटल में क्लीनिकल ट्रायल टीम के प्रमुख डा. संजय गोयल ने बताया कि क्लीनिकल ट्रायल ऐसे मरीजों के लिए मुफ्त ट्रीटमेंट का विकल्प है। जो परंपरागत ट्रीटमेंट से ठीक नहीं हो रहे या वे नए ट्रीटमेंट का लाभ लेना चाहते हैं। नए ट्रीटमेंट की पूरी लागत फ्री में मुहैया कराई जाएगी। हास्पिटल के एमडी डा. दीपक वर्मा ने बताया कि नई दवाओं के क्लीनिकल ट्रायल के मामले में देश काफी पीछे है। बीते साल में जहां अमरीका में 44 हजार दवाइयों का क्लीनिकल ट्रायल किया गया, वहीं भारत में सिर्फ 77 का ही ट्रायल हो पाया।