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छत्तीसगढ़ का सोमनाथ धाम, जहां मौसम के अनुरूप शिवबाबा बदलते हैं अपना स्वरूप

क्या आप जानते है कि 1500 साल पुराना है मंदिर का इतिहास, स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन के लिए बहुत दूर आते है शिवभक्त

-सावन का पहला सोमवार आज, शिवालयों में उमड़ेगी शिव भक्तों की भीड़

रायपुर। सावन का पहला सोमवार आज शुरू हो गया है। जिससे सभी शिवालयों में सुबह से ही शिवभक्त भगवान भोले बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचने लगेंगे। ठीक इसी तरह से राजधानी से सटे करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित सोमनाथ धाम, शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। रायपुर-बिलासपुर हाईवे पर (सिमगा गांव) में स्थित प्राचीन शिवालय में सावन के महीने में श्रद्धालुओं से गुलजार हो जाता है। वहीं क्या आपको पता है कि 1500 वर्ष पुराने इस मंदिर की खास बात क्या है, आइए आपको बताते है। Expert की माने यहा शिवलिंग का रंग मौसम के अनुसार बदलता है। शिवभक्तों की माने तो शिवलिंग गर्मियों में लाल, बरसात में भूरा और सर्दियों में काले रंग का हो जाता है। यह बदलाव सभी श्रद्धालुओं के लिए आश्चर्य और आस्था का विषय बना हुआ है।


विराजमान शिवलिंग स्वयंभू है
यहां विराजमान शिवलिंग है स्वयंभू
इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं है। कहा जाता है कि यह शिवालय 6वीं शताब्दी से अस्तित्व में है और यह खारून और शिवनाथ नदियों के संगम पर स्थित है। संगम किनारे बसा यह मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज से भी बेहद खास है। बारिश के मौसम में यहां का दृश्य अत्यंत मनोरम हो जाता है, जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लाता है।


दूर-दूर से गंगाजल लेकर पहुंचते हैं कांवड़िए
सावन के सोमवार को यहां कांवड़िए दूर-दूर से गंगाजल लेकर पहुंचते हैं और भगवान शिव का अभिषेक कर मनोकामनाएं मांगते हैं। यहां का माहौल पूरी तरह शिवमय हो जाता है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। संगम किनारे बने पार्वती घाट पर भक्त पूजा-पाठ करने के बाद नौकाविहार का आनंद भी लेते हैं।
सावन में शिवभक्ति की गूंज और संगम की लहरों के साथ यह स्थल हर श्रद्धालु के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बन जाता है।

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