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क्लास न जाकर ब्लू वाटर खदान में नहाने पहुंचे दसवीं के छात्र, गहरे पानी में दो डूबे, देर रात रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

टाटीबंध के छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल (सीपीएस) के छात्र, दोस्तों के साथ गए थे घूमने

-छात्र स्कूल के हॉस्टल में रहते थे, ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि स्कूल प्रबंधन की अनुमति के बिना इतने छात्र कैसे बाहर निकल गए?

रायपुर।राजधानी के माना थाना क्षेत्र की ब्लू वाटर खदान में शुक्रवार को दिल दहला देने वाली घटना हुई। टाटीबंध स्थित छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल के दो छात्र जयेश साहू और मृदुल वंजारिया दोपहर में अपने 7-8 दोस्तों के साथ घूमने पहुंचे थे। दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए वे खदान के साफ नीले पानी में नहाने उतर गए, लेकिन कुछ ही पलों में दोनों गहराई में चले गए। वहीं ग्रामीणों ने जब उन्हें डूबते देखा तो शोर मचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

घटना की जानकारी मिलते ही रायुपर रवाना हुए परिजन
घटना की सूचना मिलते ही माना पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। करीब चार घंटे बीत जाने के बाद भी दोनों छात्रों का कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मृदुल वंजारिया बस्तर जिले के लौंडीगुड़ा का रहने वाला था। उसकी मां ममता बंजारी बड़े गुनिया पाल में एक हॉस्टल की अधीक्षिका हैं, जबकि पिता किसान हैं। घटना की जानकारी मिलते ही परिजन रायपुर के लिए रवाना हो गए हैं।

स्थानीयों ने रोका, फिर भी नहीं माने छात्र
ग्राम नकटी के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने बच्चों को पानी में उतरने से रोका था। यह जगह बेहद गहरी है और यहां पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। इसके बावजूद बच्चे पानी में उतर गए। कुछ ही देर में दोनों छात्र पानी की गहराई में गायब हो गए। वहीं डर के कारण बाकी बच्चे वहां से बाइक लेकर भागने लगे, लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें रोककर पुलिस को खबर दी।

स्कूल और हॉस्टल प्रबंधन पर उठे गंभीर सवाल
दोनों छात्र स्कूल के हॉस्टल में रहते थे। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि स्कूल प्रबंधन की अनुमति के बिना इतने छात्र कैसे बाहर निकल गए? यह घटना स्कूल की अनुशासन व्यवस्था और निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। वहीं इस संबंध में अभी तक स्कूल प्रशासन की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।

खूबसूरत लेकिन खतरनाक है ब्लू वाटर
रायपुर का ब्लू वाटर असल में एक बंद पड़ी चूना खदान है। यहां का नीला पानी देखने में जितना आकर्षक लगता है, उतना ही खतरनाक है। पानी की गहराई और तल में जमी काई के कारण यहां फिसलन और डूबने का खतरा बहुत ज्यादा है। इसके बावजूद हर सप्ताह यहां पिकनिक मनाने और सेल्फी लेने पहुंचे युवाओं की भीड़ लगी रहती है। प्रशासन की चेतावनी और पुराने हादसों के बावजूद अब तक इस क्षेत्र को प्रतिबंधित घोषित नहीं किया गया।

पहले भी निगल चुका है कई जिंदगियां
5 मई, 2019 को मोहन बाघ उर्फ मोनू नामक किशोर दोस्तों के साथ पिकनिक में गया था, खदान में फिसलने से मौत। 3 अप्रैल 2023 को 16 वर्षीय छात्र शरील उपाध्याय सेल्फी लेते वक्त पानी में गिरा, मौत हो गई। और 12 जून, 2023 को तीन युवक डूबे, दो की मौत, एक लापता। इन सभी घटनाओं के बावजूद सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने के बजाय ब्लू वाटर को अब भी पर्यटन स्थल की तरह खुलेआम छोड़ा गया है।

क्या कहती है पुलिस
फिलहाल एसडीआरएफ शाम तक बच्चों की तलाशी अभियान में जुटी हुई थी, लेकिन अंधेरा के कारण तलाशी अभियान बंद करना पड़ा। सुबह से फिर बच्चों के शवों का खोज शुरू करेंगे।
-मनीष तिवारी, थाना प्रभारी, माना

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