रायपुर की बात करें तो राउत नाचा हर गली-मोहल्लों में दिवाली के समय या अन्य पर्व में देखने को मिलते है
अर्चना पाठक, छत्तीसगढ़।
हमारा राज्य छत्तीसगढ़ संस्कृति और कल प्रधान राज्य है। जहां की राजधानी रायपुर जो सभी छत्तीसगढ़वासियों की शान है। अब रायपुर काफी सुंदर शहर बन चुका है, जिसे स्मार्ट सिटी में भी गिना जाता है। रायपुर शहर तो न केवल संस्कृति, खान पान, शहरीकरण हर क्षेत्र में संपन्न शहर है। बात करें संस्कृति की तो छत्तीसगढ़ के लोग विभिन्न त्योहारों जैसे कि दशहरा, दिवाली और होली को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। यहां त्योहार में हर राज्य के लोग रम जाते है। हरेली, पोला हो तीजा का पर्व का उत्साह देखते ही बनते हैं। हर कोई इन त्योहारों का इंतजार ब्रेसबी से करते हैं। क्योंकि यह त्योहार गांव से शहर से हर लोगों से जुड़ा हुआ है। दिवाली के समय राउत नाचा का अलग अंदाज है। शहर में भी राउत नाचा का उत्साह चरम पर रहता है। राउत नाचा पारंपरिक रूप से यादव समाज द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
रायपुर की बात करें तो राउत नाचा हर गली-मोहल्लों में दिवाली के समय या अन्य पर्व में देखने को मिलते है। यहां किसी अतिथि का स्वागत राउत नाचा या कार्यक्रम का शुभारंभ भी राउत नाचा के साथ होती है।

इसके अलावा पारंपरिक संगीत और नृत्य जैसे कि पंडवानी का कार्यक्रम गांव की तरह शहर में भी आयोजित होता है। जहां दर्शकों की संख्या भी कमी नहीं रहती है। खास तौर पर पंडवानी गणेश चतुर्थी और नवरात्र के समय पंडालों के पास आयोजित होता है।
छत्तीसगढ़ी बोली ऐसी कि खींच लाए सभी को
वैसे तो छत्तीसगढ़ की आधिकारिक भाषा हिंदी है, लेकिन यहां के लोग छत्तीसगढ़ी बोलते हैं और यहां का साहित्य छत्तीसगढ़ी और हिंदी में समृद्ध है। यहीं छत्तीसगढ़ी बोली राजधानी के अलग भी बोलते है। बोली ऐसी है कि यह हर किसी को अपनी ओर खींच लाता है। यहीं कारण है कि अन्य प्रांत के लोग भी छत्तीसगढ़िया के साथ ऐसे घुल मिल जाते है मानो वे अपना गांव शहर भी भूल जाते है। यह सब बोली की मिठास और की वजह से है। साहित्य में हमारा शहर में कई प्रसिद्ध साहित्यकार हुए है। जिसकी पुस्तकें देश-दुनिया में भी पढ़ी जाती है।
यहां की वास्तुकला में पारंपरिक और आधुनिक शैलियों का मिश्रण
राजधानी के लोग पारंपरिक कला और शिल्प में भी महारत हासिल है। शहर में बांस टाल क्षेत्र में कई शिल्पकार बांस की कई तरह के सामान वगैरह तैयार किया जाता है। जहां इसकी खूबसूरती देखते ही बनाती है। इसके अलावा लकड़ी का काम बढ़ाई पारा में कई सामानों देखने को मिलती है।

यह सब हमारा रायपुर की पहचान है। इसके अलावा शहर के महिलाएं रोजगार के लिए अगरबत्ती बनाना, सिलाई-कढ़ाई समेत घरेलु सज-सज्जा की चीजें शहर ही नहीं बल्कि अन्य प्रांत में भी मांग रहती है। यानी छत्तीसगढ़ की वास्तुकला में पारंपरिक और आधुनिक शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है, जिसमें मंदिर, मस्जिद और अन्य ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं।
परंपराएं और रीति-रिवाज में सभी वर्गो की होती है भूमिका
हमारे यहां परंपराएं और रीति-रिवाज का अलग ही स्थान है। लोग अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को बहुत महत्व देते हैं, जैसे कि विवाह, जन्म और मृत्यु से जुड़े रीति-रिवाज। लोग किसी भी कार्यक्रम में सब मिलजुलकर निपटा लेते है। यानी हर किसी के घर में सुख-दुख के समय खड़े रहते है। यहीं कारण है कि कितना भी बड़ा समारोह हो वह सफल हो जाते है। यह सब एकजुटता के बदौलत है। भोजन की बात करें तो सरल और स्वादिष्ट है। चावल, दाल, रोटी और सब्जियां शामिल हैं।