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बालकृष्ण की मनमोहक छवि “नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की…

डेस्क।कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन और उल्लासपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व शनिवार की रात को देशभर में भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को, अर्धरात्रि के समय मनाया गया। इस दौरन सभी कृष्ण भक्तों के घरो में बालकृष्ण की मनमोहक छवि “नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की…गूंज देखने को मिली।व्यवसाय खबर डॉट कॉम https://vyavasaykhabar.com को बालकृष्ण की मनमोहक छवि मिली. जिसे हमारे हमारे शुभचिंतकों ने भेजा है. जिनकी छवि देखने के बाद यह कविता स्मरण होती है…

कुछ इसी तरह की माथे पर झुका हुआ मोरपंख,
बाँसुरी अधरों पर सजीव,
घुँघराले बालों की लटें कपोलों पर लहरातीं,
नन्हें चरणों में नूपुर की मधुर झंकार।

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आदित्रि पाठक, युवान दुबे, आद्या पाठक

पीतांबर लहराता शरीर पर,
कंठ में वैजयंती माला,
सावला रंग और मोहक रूप,
जैसे साक्षात् प्रेम का प्रतिरूप। .

नेत्रों में अद्भुत शांति और मुस्कान में बाल्य स्नेह,वो नटखट कान्हा, सबका मन मोह ले।

भावार्थ:
बालकृष्ण की छवि केवल एक देव रूप नहीं, बल्कि सजीव प्रेम, निश्छलता और भक्ति का प्रतीक है। उनका बाल्य-रूप हमें सरलता, सहजता और आनंद का पाठ पढ़ाता है।

🌟 कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व 🌟

  • भगवान विष्णु के आठवें अवतार: श्रीकृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, जिनका जन्म धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए हुआ था।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था: यह दिन भक्ति, भजन, कीर्तन, व्रत, और नाट्य मंचनों से भरा होता है — विशेष रूप से रासलीला और झांकी

📜 कृष्ण जन्म की कथा संक्षेप में:

कान्हा अकलेश पाठक

कंस की बहन देवकी और वसुदेव के आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। भविष्यवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। कंस ने देवकी-वसुदेव को कारागार में डाल दिया, और उनके पहले छह बच्चों की हत्या कर दी। सातवें गर्भ (बलराम) को योगमाया ने रोहिणी के गर्भ में पहुंचा दिया, और आठवें पर श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।

जन्म के बाद वसुदेव उन्हें रात में यमुना पार कर गोकुल ले गए, जहाँ नंद-यशोदा ने उनका पालन-पोषण किया।


🕯️ कृष्ण जन्माष्टमी की परंपराएं:

  • व्रत और उपवास: भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं।
  • झूलन उत्सव: श्रीकृष्ण की झांकी सजाई जाती है, उन्हें झूले में बैठाया जाता है।
  • दही-हांडी (महाराष्ट्र में लोकप्रिय): श्रीकृष्ण के माखन चुराने की लीला की याद में युवकों की टोली दही से भरी हांडी फोड़ती है।
  • कीर्तन और रासलीला: जगह-जगह भजन-संध्या और नाटक आयोजित होते हैं।

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

अधर्व दुबे


नाना नौमान शेख जी ने फ़ोटो और वीडियो साझा किया

राजस्थान में रह रही नातिन का उनके नाना नौमान शेख जी ने फ़ोटो और वीडियो साझा किया है। शेख जी बताते है कि राजस्थान जिला झालावाड़, अकलेरा में बेटीनौरीन और दामाद मुनिशजी रहते है।…श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बालकृष्ण-राधा के रूप में नातिन …किंजा..को तैयार किया था।

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