महासमुंद। ओडिशा के बलांगीर जिले के कांटाबांजी कस्बे से निकलकर योग और संस्कृत के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले डॉ. मनन कुमार अग्रवाल ने एक और उपलब्धि अपने नाम की है। उनका चयन गुजरात स्थित श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के योग विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर हुआ है।

बाल्यकाल से ही मेधावी छात्र रहे
यह चयन न केवल उनके व्यक्तिगत परिश्रम और साधना का फल है, बल्कि उनके गुरुकुल, शिक्षकों, और पूरे कांटाबांजी क्षेत्र के लिए भी गर्व का क्षण है। उनके इस पदस्थापन की जानकारी मिलते ही परिजनों, गुरुजनों, मित्रों और आर्य समाज से जुड़े वेदाचार्यों में हर्ष की लहर दौड़ गई। केंद्रीय विद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षक प्रेमप्रकाश शास्त्री ने डॉ. मनन की इस सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि मनन बाल्यकाल से ही मेधावी और अनुशासित छात्र रहा है।
साधारण परिवार से असाधारण सफर
27 फरवरी 1994 को एक साधारण मारवाड़ी परिवार में जन्मे मनन अग्रवाल ने कांटाबांजी के सरस्वती शिशु मंदिर से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद वे उत्तरप्रदेश के मेरठ स्थित गुरुकुल नवप्रभात वैदिक विद्यापीठ में कक्षा 6वीं से 12वीं तक रहकर गीता, उपनिषद्, दर्शन और संस्कृत व्याकरण का गहन अध्ययन किया। यहीं से उनके वैदिक जीवन की नींव रखी गई।
शिक्षा में स्वर्णिम उपलब्धियां
मनन ने पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार से योग विषय में स्नातक की उपाधि प्रथम स्थान के साथ प्राप्त की, और पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के करकमलों से स्वर्ण पदक से सम्मानित हुए।
