कृषि कालेज में कृषि में ड्रोन तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला
कार्यशाला की मुख्य विशेषताएं
-ड्रोन क्षेत्र में कृषि स्नातकों के लिए कैरियर के अवसर विषय पर तकनीकी -ड्रोन तकनीक का सीधा प्रदर्शन, जिसमें छिड़काव और निगरानी का प्रदर्शन
-एआई एक आवश्यक उपकरण विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान
रायपुर। कृषि में ड्रोन तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कृषि कालेज, रायपुर के सेमिनार हॉल में किया गया। यह कार्यशाला विशेष रूप से कृषि महाविद्यालय, रायपुर के छात्रों के लिए आयोजित की गई। वहीं डॉ. एस. चितले, प्रमुख वैज्ञानिक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (खरपतवार प्रबंधन), सस्य विज्ञान विभाग ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि आधुनिक कृषि में ड्रोन तकनीक के उपयोग से नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए छात्रों को नवीनतम ड्रोन तकनीकों से अवगत होना चाहिए।
किसानों का समय और लागत की होगी बचत
कार्यशाला में डॉ. संजय शर्मा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ. जीके. दास, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, रायपुर एवं डॉ. विवेक त्रिपाठी, निदेशक, संचालक अनुसंधान सेवाएं, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने कृषि में ड्रोन तकनीक की उपयोगिता पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से कीटनाशकों और खरपतवारनाशकों के छिड़काव में जिससे किसानों का समय और लागत दोनों की बचत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि ड्रोन तकनीक भारत में अगली कृषि क्रांति का वाहक है।
ड्रोन क्षेत्र में कैरियर को लेकर किया जागरूक
ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) रवि माधव शर्मा, मुख्य परिचालन अधिकारी, मरुत ड्रोन अकादमी, हैदराबाद द्वारा कृषि में ड्रोन तकनीक विषय पर मुख्य भाषण प्रस्तुत किया गया। उन्होंने ड्रोन के कीट प्रबंधन, बीजारोपण और फसल निगरानी में उपयोग के साथ-साथ ड्रोन क्षेत्र में कैरियर के विविध विकल्पों – जैसे ड्रोन पायलट, रिपेयर व सर्विसिंग टेक्नीशियन, मैन्युफैक्चरिंग आदि की जानकारी दी।
स्नातकोत्तर-पीएचडी स्कॉलर रहे शामिल
इस कार्यक्रम का आयोजन करियर गाइडेंस, प्लेसमेंट एवं एलुमनी सेल, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (खरपतवार प्रबंधन), संचालक अनुसंधान सेवाएं, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर एवं मरुत ड्रोन अकादमी, हैदराबाद के संयुक्त प्रयास से किया गया। कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिनमें स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी स्कॉलर शामिल थे।