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कफ सिरप से फिर दो बच्चों की मौत, 23 दिन में 9 मासूमों ने गंवाई जान

कफ सिरप से बच्चों की मौत पर देशभर में चिंता, अभिभावकों को सतर्क रहने की अपील

भोपाल/भरतपुर। Two more children die from cough syrup बदलते मौसम में खांसी-जुकाम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए दी जाने वाली कफ सिरप अब मौत का कारण बनती दिख रही है। मध्यप्रदेश और राजस्थान से आई दुखद खबरों ने पूरे देश में अभिभावकों और स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है।

अब तक 9 बच्चों की मौत

पिछले 23 दिनों में कफ सिरप के कथित सेवन से अब तक 9 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें से:

  • 7 मौतें मध्यप्रदेश (छिंदवाड़ा) में
  • 2 मौतें राजस्थान (भरतपुर और सीकर) में दर्ज हुई हैं।

मध्यप्रदेश (छिंदवाड़ा) में अब तक 7 मौतें:

  • 7वां बच्चा गुरुवार को नागपुर में इलाज के दौरान चल बसा।
  • बच्चों की किडनी फेल होने की बात सामने आ रही है।
  • संदिग्ध सिरप:
    • एआरसी सिरप
    • कोल्ड्रिफ
    • नेक्सट्रॉस डीएस सिरप
      इनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।

राजस्थान (भरतपुर) में नया मामला:

  • लुहासा गांव में 2 साल के तीर्थराज की खांसी की सिरप पीने के कुछ देर बाद हालत बिगड़ी।
  • परिजन उसे पहले वैर, फिर भरतपुर और अंत में जयपुर लेकर गए, लेकिन 27 सितंबर को मौत हो गई।
  • परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर द्वारा दी गई सिरप पीने से हालत खराब हुई।
  • चिकित्सा विभाग की टीम ने जांच शुरू कर दी है।

पहले भी हुई मौतें:

  • सीकर: 5 साल के बच्चे की कफ सिरप पीने के बाद मौत हो चुकी है।

चिंता के बिंदु:

  • बच्चों में किडनी फेलियर जैसी गंभीर प्रतिक्रिया।
  • सरकारी अस्पतालों में दी गई दवाओं की सुरक्षा पर सवाल
  • दवा कंपनियों की जवाबदेही और मानव जीवन की अनदेखी

कमजोर इम्युनिटी और मौसम का प्रभाव

डॉक्टरों का कहना है कि मौसम में बदलाव के कारण इम्युनिटी कमजोर होने पर बच्चे जल्दी संक्रमित होते हैं। ऐसे में बिना डॉक्टर की स्पष्ट सलाह के कफ सिरप देना खतरनाक हो सकता है।


🧪 राज्य सरकारों की कार्रवाई:

  • संबंधित राज्यों में कफ सिरप की सप्लाई पर तत्काल रोक लगाई गई है।
  • जांच के लिए सैंपल प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं।
  • चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है।

📢 स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह:

  • कोई भी दवा, खासकर कफ सिरप, बिना डॉक्टर की सलाह के न दें।
  • बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति पर लगातार नजर रखें।
  • दवा की गुणवत्ता, निर्माता और एक्सपायरी डेट ज़रूर जांचें।
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