स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में नगर निकायों की श्रेणी में देशभर में बिलासपुर जिले के बेल्हा नपं को मिला पहला स्थान
बाक्स में
–बिहान जैसी योजनाओं से ग्रामीण महिलाओं का बढ़ा आत्मबल
-2016 में बेल्हा नपं में स्थापित किया नारायणी स्व-सहायता समूह
-प्रतिमाह समूह की दीदियों को 10 हजार रुपये की आय होती है
रायपुर। बिलासपुर जिले के बेल्हा नगर पंचायत की रहने वाली पूजा राठौर, जो आज नारायणी स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष हैं, खुद को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर मानती हैं। लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं था। नौ साल पहले पूजा और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी।
सीमित साधनों के कारण जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन एक दिसंबर 2016 में बेल्हा नपं के अंतर्गत स्थापित नारायणी स्व-सहायता समूह के माध्यम से शुरू हुई यह यात्रा आज 28 ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आई है। विशेष चर्चा में पूजा बताती हैं कि समूह की मदद से उन्हें प्रतिमाह लगभग 10 हजार रुपये की आय होती है, जिससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि समाज में उन्हें एक नई पहचान भी मिली है।

‘मन की बात में पीएम मोदी ने सराहना की
प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात के 124वें संस्करण में बिल्हा नगर पंचायत की महिलाओं द्वारा किए गए नवाचार और श्रम का उल्लेख करते हुए सराहना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिल्हा की महिलाओं को वेस्ट मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी गई और उन्होंने मिलकर शहर की तस्वीर बदल डाली। यह उल्लेख पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण है, जिसने स्वच्छता को न केवल शासकीय योजना के रूप में, बल्कि सामुदायिक आंदोलन के रूप में अपनाया है।

समूह की महिलाओं को समाज मे मिला सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर का बहुत-बहुत धन्यवाद करते हुए, पूजा राठौर कहती हैं कि उन्होंने हम जैसी कम पढ़ी-लिखी ग्रामीण महिलाओं को स्व-सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार का अवसर देकर समाज में मान-सम्मान दिलाया है। आज हम अपने पैरों पर खड़ी हैं और दूसरों की भी मदद कर पा रही हैं। बिहान जैसी योजनाओं से ग्रामीण महिलाओं का आत्मबल बढ़ा है।

बच्चों को मिल रही बेहतर शिक्षा
पूजा बताती हैं कि पहले महंगाई के चलते बच्चों की पढ़ाई तक जारी रखना मुश्किल हो जाता था। अब जब आय का नियमित स्रोत है, तो बेटी बीएससी कर रही है और बेटा बारहवीं की पढ़ाई कर रहा है। अब हम बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला पा रहे हैं और परिवार में खुशहाली है।
समूह में 45 वर्ष तक की महिलाएं जुड़ीं
नारायणी समूह की शुरुआत में मात्र 10 महिलाओं के साथ हुई थी। शुरुआत में महिलाओं में संकोच, सामाजिक बंधन और जागरूकता की कमी थी। लेकिन नपं बिल्हा की अध्यक्ष वंदना जेन्ड्रे, मुख्य नगर पालिका अधिकारीप्रवीण सिंह गहलोत सहित निगम आयुक्त सर सहित विभागीय अधिकारियों और वरिष्ठजनों के मार्गदर्शन से ग्रामीण महिलाओं को जागरूक किया गया। जिससे 28 सदस्य में 25 महिलाएं, तीन पुरूष शामिल है। आज इस समूह में 45 वर्ष की आयु तक की महिलाएं सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं।

इस उपलब्धि को बनाए रखना जरूरी
-स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में देशभर में बेल्हा नपं को प्रथम स्थान मिलना हम सभी के लिए गौरव का क्षण है। इस उपलब्धि में स्थान बनाने के लिए डोर-टू डोर कलेक्शन, मैन पावर जैसे स्टेप पर कार्य किया गया। अब इसको बनाए रखने के लिए उतना ही प्रयास किया जाएगा। जिसके लिए हर स्तर एक प्लानिंग के तहत कार्य शुरू किया जा रहा है।
अमित कुमार, (आईएएस) आयुक्त, बिलासपुर नगर निगम
मुख्य बिंदु –
बिल्हा नपं की स्वच्छता में ऐतिहासिक उपलब्धि
विज्ञान भवन नई दिल्ली में सम्मान
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में 20,000 से कम आबादी वाले नगर निकायों की श्रेणी में देशभर में बिल्हा को पहला स्थान मिला है। जिसके आधार पर 17 जुलाई 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों बिल्हा को सम्मानित किया गया।

नगर पंचायत बिल्हा में कुल 15 वार्ड
नगर पंचायत बिल्हा की कुल जनसंख्या – लगभग 15,000 है। जहां पर स्वच्छता कमांडो के तौर पर 10 विशेष पुरूष ट्रैक्टर और ऑटो टिपर के माध्यम से नगर में सफाई और जन-जागरूकता कार्य करते है।इसी प्रकार से स्वच्छता दीदियां घर-घर जाकर ई-रिक्शा से कचरा संग्रहण कर उसमें से गीला-सूखा कचरे को अलग करती है। इसी तरह से गीले कचरे से खाद बनाई जाती है। सूखा कचरा बेचा जाता है, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं

जन-जागरूकता अभियान:
समूह की महिलाओं को मुनादी, घर-घर जाकर सीधा कचरा संग्रहण, कचरे का पृथक्करण करने के लिए जनता को प्रेरित किया गया। इसके साथ ही मुक्तिधाम, तालाब, गार्डन, सामुदायिक भवनों में नियमित सफाई कार्यक्रम से भी जोड़ा गया।
राष्ट्रीय स्तर पर चयन का आधार
भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण,सड़क व शौचालय सफाई, जनता से फीडबैक, आदि बिंदुओं पर स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा मूल्यांकन के बाद सम्मान दिया जाता है।