रतन टाटा अपने बंगले पर प्रतिदिन लेते थे 14 अखबार, कभी-कभी अखबार देने वाले से हालचाल भी पूछते थे
हिंदुस्तान का अभिमान, देश का गौरव और सम्मान का नाम हैं रतन टाटा। आप करोड़ों हिंदुस्तानियों के दिलों में रहेंगे। व्यवसाय खबर डाट काम की पूरी टीम की तरफ से भारत के रत्न रतन टाटा को भावभीनी श्रद्धांजलि।।

मुंबई। उद्योग जगत में सम्मानित और अपने परोपकार के लिए मशहूर रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उनके जाने का दुख हर वर्ग को है, क्योंकि वह कभी अपने लिए ही नहीं सोचते थे, बल्कि हर शक्स उनकी सोच में शामिल था। मुंबई में 39 वर्षीय हरिकेष सिंह जोकि एक अखबार विक्रेता है। उन्हे भी रतन टाटा के जाने का दुख है। एक चर्चा में वह कहते कि लाकडाउन के बाद उनका अखबार वितरण का काम बुरी तरह प्रभावित हो गया था और लंबे समय तक अनिश्चितता की स्थिति थी, लेकिन 14 अखबार लेने वाले उनके पसंदीदा ग्राहक स्वर्गीय रतन टाटा जी ने कोविड़ काल में कभी अखबार बंगले पर लेने से मना नहीं कराया था और रोजाना की तरह ही अखबार भी पढ़ा करते थे। इस दौरान कई बार उन्हे गार्डेन में अखबार पढ़ते-टहलते देखा करता था। यदि उनकी नजर पढ़ी तो हालचाल भी पूछ लिया करते थे। इससे बहुत ही खुशी मिल जाती थी।

उपचार के लिए पांच लाख रुपये भी दिए थे रतन टाटा के घर दो दशक तक अखबार पहुंचाने वाले हरिकेष सिंह ने बताया, ‘वह बहुत अच्छे व्यक्ति थे, गरीबों के लिए मसीहा थे। रतन टाटा से उनका जुड़ाव 2001 में तब शुरू हुआ था जब वह कोलाबा की बख्तावर बिल्डिंग के एक अपार्टमेंट में रहते थे, बाद में वह पास के ही निजी बंगले हलेकाई में शिफ्ट हो गए थे।
कुछ वर्ष पहले जब हरिकेष के एक रिश्तेदार को कैंसर का पता चला था तो टाटा ने पत्र देकर तत्काल इलाज के लिए टाटा मेमोरियल सेंटर भेजा था और पांच लाख रुपये भी दिए थे। गुरुवार को हरिकेश ने अखबार बांटने का अपना काम थोड़ा जल्दी खत्म किया और कोलाबा में अपने पड़ोस के सबसे महान व्यक्ति को अंतिम विदाई देने के लिए लाइन में लग गए।
टाटा परिवार भारत का एक प्रमुख और प्रभावशाली व्यापारिक परिवार है28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा, नवाल और सूनू टाटा के पुत्र थे. रतन और उनके छोटे भाई, जिमी, को उनकी दादी नवाजबाई आर टाटा ने मुंबई के मध्य में स्थित टाटा पैलेस में उनका पालन-पोषण किया था. टाटा परिवार भारत का एक प्रमुख और प्रभावशाली व्यापारिक परिवार है, जिसने टाटा समूह की स्थापना की, जो आज एक बहुराष्ट्रीय समूह है।

बेटी की शादी में 50 हजार रुपये दिए थे
इसी भीड़ में 57 वर्षीय हुसैन शेख भी थे। वह उपनगर अंधेरी से आए थे। कई वर्षों तक उन्होंने यदा-कदा रतन टाटा की पसंदीदा मर्सिडीज बेंज को साफ किया था। जब शेख की बेटी की शादी हुई थी तो घर के एक कर्मचारी के जरिये टाटा ने उन्हें 50 हजार रुपये दिए थे। रतन टाटा से अंतिम बार वह 15 वर्ष पहले मिले थे। उन्होंने कहा कि इस भीड़ में हर व्यक्ति का रतन टाटा के साथ अपना निजी जुड़ाव रहा है।

अंत में रतन टाटा की कही वह जिसे सभी को याद रखना चाहिए: अपनी सादगी से लोगों को अपना मुरीद करने वाले दिग्गज उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में स्वर्गवास हो गया। युवाओं के लिए वह हमेशा रोल मॉडल रहे हैं। अपने प्रेरणादायक वक्तव्यों से उन्होंने युवाओं को हमेशा प्रेरित किया है। …..
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